बच्चों की शिक्षा में माता पिता की भूमिका अनुच्छेद लेखन फुल
Answers
Answer:
*मात-पिता गुरु आत्मीय, दें सनातन ज्ञान। शैशव यौवन का जनक है , इसलिए बच्चों को सही शिक्षा सही समय पर मिले इस बात का पूरा दारोमदार माता पिता पर होता है । ... इसी तरह यदि घर का वातावरण सही होता है तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है। इसलिए सबसे पहले माता-पिता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
Explanation:
please follow me
शिक्षा में माता पिता की भूमिका क्या होती है?
एक तरफ तो बदलती हुई तेज रफ्तार जिंदगी में मतापिताओं के पास अनुकूल समय नहीं होरहा अपने बच्चों के शिक्षा का उत्तर दायित्व लेने। पर दूसरी तरफ हर मातापिता को छाइए अच्छा प्रतिशत अंक अपने बच्चों में। हर मातापिता का यही सपना है कि उनका बच्चा सारे चीज़ों में प्रथम हो। और इसी मंसा हानिकारक प्रतियोगिता को जन्म देता है। जिसका सबसे बड़ा शिकार होतें है उनके ही बच्चे।
बेचारे प्रथम/ द्वितीय कक्षा में पढ़ते हुए बच्चों को देखते है सुबह से लेकर शाम तक स्कूल, कोचिंग फिर नाचना, गाना आदि प्रशिक्षण लेते हुए। इसमें भला बच्चा को अपने लिए दो पल कैसे मिलेगा? इसीलिए मौलिक चिंतन बच्चों का दब जाता है। क्यों की इतना दवाब उनके ऊपर पहले से रहता है कि वे कितनी जल्दी अपना पढ़ाई खत्म करेंगे यही सोचते हैं।
मतापिताओं का इसलिए सबसे पहला दायित्व है बच्चों अत्यधिक प्रत्याशा न रखना। और उसे कम भार देना। उसे मौका देना अपने आग्रह को जान पाने और उस पर अमल कर पाने की।
pls rate this answer and give ❤️ follow me...