बच्चों को यह बोलते अक्सर सुना जाता है कि, काश हम जल्दी बड़े हसे जाते और बड़े-बूड़ों से अक्सर यह सुना जाता है कि काश हम फिर से जवान हो जाते । आयु के अपने सुख-दुख होते हैं और सबसे संतुष्ट व्यक्ति वही है जो व्यर्थ के पश्चाताप में समय न गँवाकर हर अवस्था की देन के मजे लेता है। बचपन एक ऐसी अवस्था है जब जिम्मेदारियाँ कम होती हैं, जब जीवन में चीजें नित नये रूप में सामने आती हैं और जब किसी को वर्षा या बर्फ में खेलने जैसे साधारण कामों से आनंद मिलता है। लेकिन बच्चा अपनी इच्छानुसार कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र नहीं होता और वह अपने को लगातार यही सुनते हुए पाता है कि "यह काम मत करो, वह काम मत करो"। 1
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बच्चों को यह बोलते अक्सर सुना जाता है कि, काश हम जल्दी बड़े हसे जाते और बड़े-बूड़ों से अक्सर यह सुना जाता है कि काश हम फिर से जवान हो जाते । आयु के अपने सुख-दुख होते हैं और सबसे संतुष्ट व्यक्ति वही है जो व्यर्थ के पश्चाताप में समय न गँवाकर हर अवस्था की देन के मजे लेता है। बचपन एक ऐसी अवस्था है जब जिम्मेदारियाँ कम होती हैं, जब जीवन में चीजें नित नये रूप में सामने आती हैं और जब किसी को वर्षा या बर्फ में खेलने जैसे साधारण कामों से आनंद मिलता है। लेकिन बच्चा अपनी इच्छानुसार कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र नहीं होता और वह अपने को लगातार यही सुनते हुए पाता है कि "यह काम मत करो, वह काम मत करो"।
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आयु के अपने सुख दुख होते है
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