बच्चों में अनुकरण का गुण सर्वाधिक पाया जाता है बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करने में उनका लाभ कैसे उठाया जा सकता है
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3 से 7 वर्ष
बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास की शुरुआत कैसे करें?
बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास की शुरुआत कैसे करें
बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास से मतलब है उन्हे अच्छे संस्कार देना और अपनी संस्कृति से रूबरू करवाना जिससे वे अपने साथ-साथ पूरे समाज को सही रास्ते पर ले जा सके। बच्चे हमारी परंपराओं के खेवनहार और देश का भविष्य होते हैं पर बच्चे में नैतिक मूल्यों की कमी उनके चरित्र को तबाह कर देती है और वे छोटी उम्र में ही चोरी, बेइमानी और झूठ-धोखा करने लगते हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे बच्चे बड़े होने पर देश और समाज का क्या भला करेंगे?
नैतिक मूल्यों की जरूरत क्यूँ है? / Why is The Need for Ethical Values in Hindi ?
कोई बच्चा पढ़ाई-लिखाई में कितना भी होशियार हो पर यदि उसमें नैतिक शिक्षा का अभाव है तो सब बेकार है। नैतिकता हमारी शख्सियत को निखारने की पहली सीढ़ी है। नैतिकता ही वह खूबी है जो हमारे सामाजिक होने की पहचान कराती है और जीवन को बेहतर ढंग से जीना सिखाती है। बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देना इसलिए जरूरी है ताकि वे अच्छे-बुरे, सही-गलत का फर्क समझ सकें और जान सकें कि क्या करने से समाज में आदर, सराहना और प्यार मिलता है और क्या करने से नहीं।
बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देने के लिए क्या करें ?/ How to Educate Children About Moral Values in Hindi?
बच्चे को नैतिक मूल्यों की जानकारी सबसे पहले परिवार में मिलती है। सबसे पहले मां-बाप ही बच्चों में नैतिक मूल्यों के बीज रोपते हैं। परिवार में ही बच्चा संस्कार, नैतिकता और शिष्टाचार की जानकारी पाता है जिससे वह जान सके कि समाज में बड़ों के साथ, अपने मित्रों के साथ और अन्य लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। यहाँ बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देने के कुछ आसान तरीके बताए गऐ हैं-
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#1. घर के माहौल का महत्व -
जैसा ऊपर बताया गया है कि बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है, तो सबसे पहले घर का माहौल स्नेहशील होना चाहिए। घर का माहौल खुशनुमा होना, घर में बड़ों को आदर होना, बोल-चाल में सभ्यता और सौम्यता, एक-दूसरे के प्रति लगाव जैसी बातों से बच्चे प्रेरित होते हैं और इन बातों को बड़ी जल्दी सीखते हैं।
#2. दोस्ती-यारी का असर -
जब बच्चे एक-दूसरे के साथ खेलते हैं तो यह उनमें समाजीकरण की अहसास पैदा करता है। उसके समूह में बच्चे के कुछ गलत किए जाने पर उसे एसा न करने के लिए समझाना या कुछ अच्छा करने पर उसकी प्रसंसा करना उसके आचरण और बर्ताव पर असर करता है पर बच्चों की संगत पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। बच्चा जिसके सम्पर्क में आता है, उसी का अनुसरण करता हैं। यह बात घर के बाहर भी लागू होती है। बच्चे घर से ज्यादा अपने यार-दोस्तों की संगत में सीखते हैं। अगर उसके साथियों में झूठ बोलना, चोरी करना जैसी आदतें है तो बच्चा बड़ी जल्दी उसका शिकार बनेगा।
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#3. मनोरंजन गतिविधि -
बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी के लिए मौज-मस्ती और मनोरंजन का किरदार भी अहम् है। अच्छी फिल्में, टीवी प्रोग्राम, काॅमिक्स, कहानियां बच्चों के लिए स्वस्थ्य मनोरंजन का साधन होने के साथ-साथ उनके कोमल मतिष्क पर बड़ी जल्दी असर करती हैं। माता-पिता को कोशिश करनी चाहिए कि वह बच्चों को बचपन से ही नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना शुरू करें। नैतिक मूल्यों की जानकारी बच्चों को सभ्य, चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार बनाती है।
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