बच्चो में लिखना कौशल विकसित करने हेतु किन्हीं दो विधियों का उनके गुण एवं कमियों के आधार पर आलोचनात्मक विस्लेशन कीजिए ।
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बच्चे जब पहली बार स्कूल जाते हैं, तो उनमें भी बातचीत की कला होती है, जो उनके परिवेश से मिलती है। यहाँ परिवेश का अर्थ जिस वातावरण से आता है या जिनसे ग्रहण करते हैं यानि मां-पापा और आस-पड़ोस के लोग और यहीं से उसमें बातचीत की कला का विकास शुरू हो जाता है। इसी बातचीत की कला को यदि हम दूसरे लोगों से जोड़ने की कोशिश करते हैं तो उनकी लिखने की क्षमता का विकास होता जाता है।
बच्चों को सबसे पहले वर्णमाला के अक्षरों से अवगत कराया जाता है और बार-बार लिखाया जाता है। यह प्रक्रिया कई सप्ताह या महीनों तक स्कूल में चलती रहती है। इस पूरी प्रक्रिया में लेखन का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। अतः जब बच्चे को कोई शब्द या उससे सम्बन्धित वाक्य लिखने के लिए कहा जाता है, वह शिक्षक को देखता है कि क्या लिखे? ऐसी परिस्थिति में बातचीत को भी लेखन की एक विस्तारित प्रक्रिया में रखना चाहिए।
बच्चों को सबसे पहले वर्णमाला के अक्षरों से अवगत कराया जाता है और बार-बार लिखाया जाता है। यह प्रक्रिया कई सप्ताह या महीनों तक स्कूल में चलती रहती है। इस पूरी प्रक्रिया में लेखन का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। अतः जब बच्चे को कोई शब्द या उससे सम्बन्धित वाक्य लिखने के लिए कहा जाता है, वह शिक्षक को देखता है कि क्या लिखे? ऐसी परिस्थिति में बातचीत को भी लेखन की एक विस्तारित प्रक्रिया में रखना चाहिए।
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