बच्चों में उनका जो पूरे जलते नहीं और धरती पर ठोस हालत में गर्म गोले के रूप में गिर पड़ते हैं उन्हें क्या कहते हैं
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रात का आसमान
ये सवाल बचकाना लगता है. हमें पता है कि हमारी पृथ्वी पर प्रकाश सूर्य की रोशनी के कारण होता है, लेकिन जब पृथवी अपनी धुरी पर घूमती है तो जहां एक तरफ सूर्य की रोशनी पड़ती है दूसरी तरफ अंधेरा होता है.
वैज्ञानिकों को सदियों से ये सवाल परेशान करता रहा है कि अगर ब्रह्मांड में असंख्य तारें हैं जो रात के आसमान में चमकते हैं तो पृथ्वी पर रात आख़िर काली और अंधेरी क्यों होती है.
19वीं सदी में जानकार मानते थे कि ब्रह्मांड शाश्वत है, इसका कोई छोर नहीं है और वक्त के साथ ये कभी नहीं बदलता.
उस वक्त आसमान को एक बड़े चित्रपट के तौर पर देखा जाता था जहां असंख्य तारे हमेशा चमकते रहते हैं.
कहां जाता है अंतरिक्ष का मलबा?
लाल चांद, मटमैला सूरज और झिलमिलाते तारे
अंतरिक्ष
इमेज स्रोत,GETTY IMAGES
"यूरेका" नाम के एक निबंध में लेखक एडगर एलन पो ने कहा कि ब्रह्मांड के बारे में कुछ दलीलें सही नहीं थी.
वो कहते हैं, "अगर तारों की चादर का कोई अंत ही नहीं है और वो स्थिर हैं तो आकार हर रात समान ही नज़र आएगा और कोई पूरे ब्रह्मांड ऐसी कोई जगह नहीं होगी जहां से कुछ तारे ना दिखें."
आकाश के बारे में और जानने की चाह और विज्ञान के प्रति अपनी रुचि के कारण उन्होंने आकाश के बारे में एक दलील को चुनौती दे दी थी- वो धारणा थी कि ब्रह्मांड शाश्वत है.
लेकिन हर दलील के बावजूद रात काली क्यों होती है इस पर सवाल उठाए गए हैं. इसके साथ तारों के असंख्य होने, ब्रह्मांड के सीमाहीन होने और ब्रह्मांड में हर चीज़ के स्थिर होने पर भी सवाल उठाए गए हैं.
हालांकि अंधेरी रात या फिर कहें ब्रह्मांड में अंधेरा के सवाल से इसके बारे में कई बातें सामने आने में मदद मिली है.