बचेंद्री पाल के साथ घटी घटना का वर्णन कीजिए
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nahi aata dear friend sorry.....
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please give me 20 thanks and take 30 thanks
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आज से 35 साल पहले 23 मई के दिन भारत की एक बेटी अपने साहस के दम पर दुनिया के शिखर पर जा बैठी थी। यह बेटी कोई और नहीं, बल्कि बचेंद्री पाल हैं, जिन्होंने मौत को मात देकर 23 मई 1984 को पहली भारतीय महिला के रूप में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था।
बुद्ध पूर्णिमा को मिला था जीवनदान : बचेंद्री बताती हैं कि एवरेस्ट अभियान के दौरान 16 मई 1984 को वे बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई थीं। उनका बचना नामुमकिन सा हो गया था, क्योंकि वे पूरी तरह से बर्फ के नीचे दब गईं थीं। लेकिन उनके साथियों ने हार नहीं मानी और उन्हें काफी मशक्कत के बाद बर्फ से बाहर निकाल लिया। बचेंद्री की सांसे चल रही थी और यह देखकर टीम के सभी सदस्य खुशी से झूम उठे। बचेंद्री ने बताया कि वह बुद्ध पूर्णिमा की रात थी, जिस दिन उन्हें जीवनदान मिला था। 23 हजार फीट की ऊंचाई पर घटी इस घटना के बाद बचेंद्री को बेस कैंप लाया गया, जहां तबीयत सामान्य होने के बाद लीडर ने उनसे पूछा कि क्या तुम अब भी एवरेस्ट पर जाना चाहती हो, तो बचेंद्री का जवाब था 'हां'। दो दिन बाद बचेंद्री पुन: अभियान दल में शामिल हो गई और 23 मई को 1984 को दिन के एक बजकर सात मिनट पर एवरेस्ट पर कदम रखनेवाली पहली भारतीय महिला बन गई।