बचपन, खिलौने, मां, चांद-तारे, पारियां,प्यार, घर ,खेल, दोस्त, कपड़े शब्दों की सहायता से एक कविता लिखिए
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Explanation:
1.1 बचपन का घर / तरुण भटनागर
1.2 बचपन में / हेमन्त देवलेकर
1.3 बचपन के किस्से सुनो जी बड़ों के / रमेश तैलंग
1.4 बचपन की जेल / विवेक चतुर्वेदी
1.5 बचपन, यौवन, वृद्धपन.. / हिमांशु पाण्डेय
1.6 बचपन / कृष्ण कुमार यादव
1.7 बचपन / कल्पना लालजी
1.8 बचपन का गाँव / रंजना जायसवाल
Answer:
बचपन, खिलौने, मां, चांद-तारे, पारियां,प्यार, घर ,खेल, दोस्त, कपड़े शब्दों की सहायता से एक कविता लिखिए
Explanation:
वो बचपन गुजरा था जो
घर के आंगन में लुढ़कता सा
मैं भीगा करता था जिसमें
वो सावन बरसता सा,
याद आई मुझे
माँ ने थी जों कभी लोरियां गाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।
उम्र छोटी थी पर सपने
बड़े हम देखा करते थे
ये दुनिया प्यारी न थी
हम तो बस खिलौनों पे मरते थे,
जब देखा मैंने वो बचपन का खजाना
किताब, कलम और स्याही
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।
याद आया मुझे
भाई-बहनों के संग झगड़ना
शैतानियाँ कर के माँ के
दमन से जा लिपटना,
साथ ही याद आई वो बातें
जो माँ ने थी समझाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।
आज तन्हाई में जब
वो मासूम बचपन नजर आया है
ऐसा लगता है जैसे
खुशियों ने कोई गीत गुनगुनाया है,
पर जब दिखा सच्चाई का आइना
तो फिर हुयी रुसवाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।
बचपन, खिलौने, मां, चांद-तारे, पारियां,प्यार, घर ,खेल, दोस्त, कपड़े शब्दों की सहायता से एक कविता लिखिए
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बचपन खिलौने मां चांद तारे पर्याप्त यार घर खेल दोस्त कपड़े से बनाकर एक कविता लिखिए
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