बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती hai
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बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में मधुर भावना व्याप्त थी। वह राजा हरिश्चंद्र तथा कवि हरिश्चंद्र में अंतर को समझ नहीं पाते थे और दोनों को एक ही दृष्टि से देखते थे। यदि कोई उनके सम्मुख हरिश्चंद्र का नाम लेता, तो उनके सम्मुख उन दोनों से युक्त मिले-जुले भावों का उद्भव होता था।
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