Hindi, asked by rameshbhat12349, 1 day ago

बचपन में सुना था-खेलोगे कूदोगे होगे खराब। कुछ लोग आज भी सोचते हैं कि खेलने कूदने से समय नष्ट होता है और स्वास्थ्य बनाने केलिए व्यायाम कर लेना काफी है पर अपने अनुभव से मैं कर सकता हूं यह विचार ठीक नहीं खेलकूद से स्वास्थयतो बनता ही है साथ-साथ छात्र ऐसे गुण भी सीखता है जिनका जीवन में विशेष महत्व है और जो व्यायाम से प्राप्त नहीं होते। सहयोग से काम करना विजय मिलने पर अभिमान न करना हार जाने पर साहस ना छोड़ना, विशेष ध्येय के लिए नियम पूर्वक कार्य करना आदि गुण खेलों के द्वारा अनायास ही सीखे जा सकते हैं ।लोग सफलता ना पानी पर साहस छोड़ बैठते हैं और पुनः प्रयास नहीं करते ,परंतु अच्छा खिलाड़ी हार में पर भी प्रयास करता रहता ताकि वह आगे चलकर हारी हुई बाजी जीत सके। इन बातों से प्रतीत होता है कि खेल के मैदान में केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनता वरन मनुष्य भी बनता । प्रश्न(क) खेलों के विषय में लोगों की क्या धारणाहै? प्रश्न ख)-खेल के मैदान में किसका निर्माण होता है? प्रश्न ग) खेलों से मनुष्य में किस गुण का विकास होता है? प्रश्न घ) गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक क्या है?​

Answers

Answered by goyalankush726
1

Answer:

ans 1

log sochte the k khelne se samay barbaad hotaa hai

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