Hindi, asked by Brainychild, 1 year ago

बचपन पर आधारित कविता लिखिए


Brainychild: hello
Brainychild: friends

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Answered by pandeykrishna
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बचपन की यादे:-



मेरी आँखों से गुजरी जो
बीते लम्हों की परछाईं,
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

वो बचपन गुजरा था जो
घर के आंगन में लुढ़कता सा
मैं भीगा करता था जिसमें
वो सावन बरसता सा,
याद आई मुझे
माँ ने थी जों कभी लोरियां गाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

उम्र छोटी थी पर सपने
बड़े हम देखा करते थे
ये दुनिया प्यारी न थी
हम तो बस खिलौनों पे मरते थे,
जब देखा मैंने वो बचपन का खजाना
किताब, कलम और स्याही
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

याद आया मुझे
भाई-बहनों के संग झगड़ना
शैतानियाँ कर के माँ के
दमन से जा लिपटना,
साथ ही याद आई वो बातें
जो माँ ने थी समझाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

आज तन्हाई में जब
वो मासूम बचपन नजर आया है
ऐसा लगता है जैसे
खुशियों ने कोई गीत गुनगुनाया है,
पर जब दिखा सच्चाई का आइना
तो फिर हुयी रुसवाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।


Brainychild: thanks
pandeykrishna: welcome
saumyaSingh1900: this is the very emotional poem
saumyaSingh1900: Pls mark pandeykrishna as a brilliant...because this is best poem
pandeykrishna: thanks
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