बचपन पर सुंदर कविता Poem on Childhood in Hindi
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बचपन की यादें
हम थे और बस हमारे सपने,
उस छोटी सी दुनिया के थे हम शहज़ादे।
लगते थे सब अपने-अपने,
अपना था वह मिट्टी का घरौंदा,
अपने थे वह गुड्डे-गुड़िया,
अपनी थी वह छोटी सी चिड़िया,
और उसके छोटे से बच्चे।
अपनी थी वह परियों की कहानी,
अपने से थे दादा-दादी, नाना और नानी।
अपना सा था वह अपना गाँव,
बारिश की बूँदे कागज़ की नाव।
माना अब वह सपना सा है,
पर लगता अब भी अपना सा है।
दुनिया के सुख दुःख से बेगाने,
चलते थे हम बनके मस्ताने।
कभी मोहल्ले की गलियों में,
और कभी आमों के बागों में।
कभी अमरुद के पेड़ की डालियों पर,
और कभी खेतों की पगडंडियों पर।
इस मस्ती से खेल-खेल में,
न जाने कब बढ़े हो गए हम।
बीत गया वह प्यारा बचपन,
न जाने कहाँ खो गए हम।
-निधि अग्रवाल
दोस्तों, बचपन का समय हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, जो हमारे जीवन में दोबारा लौटकर कभी नही आता। बचपन के वो पल जो न जाने कितने आनंद से भरे होते थे सभी को बार-बारे याद आते है। वैसे ये बचपन के पल ही जीवन के सच्चे पल लगते है। बचपन की दुनियाँ एकदम सुख-दुख से बेगानी होती है। न कुछ जाने का न कुछ पाने की चाहत। हमारे छोटे-छोटे से सपने हमारी दुनियां होते थे, जो जीवन की सच्चाई लगते थे। बचपन में हम सारी चीजें निरुद्देश्य करते थे लेकिन अब लगता है बचपन के वो दिन ही उद्द्येश्य पूर्ण थे, जिनमें जीवन का सच्चा सुख समाया था। एक कविता बचपन के दिन हमारी Childhood Memories Kavitao के संग्रह से हम आपके समक्ष बचपन के कुछ पलों को शेयर करते है।
बचपन की यादें कविता
बचपन के दिन
रहते हम छोटे से बच्चे,
कभी बड़े न होते हम।
छोटी सी इस दुनिया में,
अपना वजूद न खोते हम।
पापा की गोदी चढ़ जाते,
माँ के आँचल में छुप जाते।
दादी नानी की कहानियों से,
अपने मन को बहलाते।
दादा जी के हाथों से,
छोटे-छोटे दो सिक्कों को पाकर,
चाट के उन ठेलो से,
बचपन के उन मेलो में,
जाकर सारी खुशियाँ पा जाते।
-निधि अग्रवाल
बचपन के वे दिन व यादें किसी भी व्यक्ति के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन होते है, क्योकि हम सभी चिंतामुक्त होते है। सारा दिन खेलने कूदने में व्यतीत करना, खाना-पीना और मस्त रहना, बस यही तो करते थे हम सब। माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता था। छुट्टियों में नाना-नानी के यहाँ जाना, नए-नए दोस्त बनाना, घूमना-फिरना, और फिर उनसे लड़ना-झगड़ना, यही तो करते थे, बचपन में हम सब। बचपन में शैतानी करना फिर मम्मी से मार खाना और पापा की डांट सुनना। सचमुच बचपन के वे दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक थे। अब तोह केवल यादें बनकर रह गए है वे सब।
लेकिन बचपन की यादें भी कभी-कभी बहुत अच्छी लगती है। एक यादें ही तोह है, अब हमारे साथ जो हमेशा साथ रहती है। इन्हीं यादों को समेटे हुए, बचपन के कुछ खट्टे-मीठे पल व बातें, आज हम बचपन की यादें कविताएँ के माध्यम से शेयर करते है।
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