Bcl3 Lewis acid की तरह व्यवहार करता है क्यों?
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में B के पास मात्र छह संयोजी इलेक्ट्रॉन है यानी यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता रखता है और यह लेविस अम्ल की तरह काम करता है।
Explanation:
लुईस एसिड बेस थियरि के अनुसार जो भी आयन्स या मॉलिक्यूल्स नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन प्र्यर ग्रहण कर सकते हैं वे लुईस अम्ल कहलाते हैं तथा जो अपना नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन पेयर डोनेट कर सकते हैं वे लुईस बेस कहलाते हैं। BCl3 में बोरॉन के दो 2p ओरबिटल खाली होते हैं जिसमें ये नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन पेयर ग्रहण कर सकता है। इसलिए यह के लूइस अम्ल हैं।
#SPJ3
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BCl₃ में B के पास 6 संयोजी इलेक्ट्रॉन है; यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता रखता है।यह लेविस अम्ल की तरह काम करता है।
Explanation:
- लुईस एसिड-बेस थियरि के अनुसार, जो भी आयन्स नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकते हैं वे लुईस अम्ल कहलाते हैंI
- जो अपना नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन पेयर डोनेट कर सकते हैं वे लुईस बेस कहलाते हैं।
- BCl₃ में बोरॉन के 2p² ओरबिटल खाली होते हैं जिसमें ये नॉन बॉंडिंग इलेक्ट्रॉन पेयर ग्रहण कर सकता है। इसलिए यह के लूइस अम्ल हैं।
#SPJ2
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