बड दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते है
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बड़ दादा ने कहा, "सच पूछो तो भाई, इतनी उमर हुई, उस भयावने वन को तो मैंने भी नहीं देखा। ... पर वे आदमी वन को भयावना बताते थे। जरूर वह शेर-चीतों से बढ़कर होगा।" दादा, "सो तो होता ही होगा।
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बड़ दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते हैं कि इनमें पत्ते नहीं होते। बड़दादा के अनुसार आदमी में जड़ें नहीं होती। बड़दादा के अनुसार आदमी में तना ही तना है अर्थात वे अपने-अपने तने की दो शाखाओं पर ही चलते चले जाते हैं।
बड़ दादा ने आदमी की तुलना एक वृक्ष से की है, इसीलिए ऐसा कहा। बड़दादा के अनुसार आदमी एक ऐसा पत्ता हीन, जड़हीन वृक्ष है, जो केवल तनों के सहारे टिका है।
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