Hindi, asked by nasuhabhatkar49, 1 year ago

बढते प्रदुषण पर निबंध​

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Answered by Anonymous
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बढते प्रदुषण पर निबंध

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आज आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है । विज्ञान ने हमें बहुत प्रकार के सुख साधन प्रदान किए हैं। जिनके कारण हमारी धरती नंदनवन बन गई है। विज्ञान ने जहां हमें अनेक प्रकार के वरदान दिए हैं, वहीं कुछ ऐसी समस्याएं भी पैदा है, जो आज भी सनतम अभिशाप बनकर हमारे अस्तित्व को ही समाप्त करने पर अड़ी हुई है। प्रदूषण भी उनमें से एक है ।

प्रदूषण का अर्थ है :- " दो संयुक्त "

आज धरती के दूसरे वातावरण से पर्यावरण और वायुमंडल भी प्रदूषित है। मनुष्य ने प्रकृति से जिस प्रकार छेड़छाड़ की है , जिस प्रकार उसका अंधाधुंध दोहन किया है , उसी का दुष्परिणाम है ' प्रदूषण ' ।

प्रदूषण चार प्रकार का होता है :-

  1. वायु प्रदूषण ,
  2. ध्वनि प्रदूषण ,
  3. भूमि प्रदूषण
  4. और जल प्रदूषण

वायु प्रदूषण :-

इनमें वायु प्रदूषण का सर्वाधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है। आज जिस तरह गति से औद्योगिक करण हुआ है , उसी गति से वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। कारखानों की चिमनिया से निकलने वाले धुएं , तथा राख से वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है। नगरों में लोग शुद्ध वायु में सांस लेने को तरसते हैं।

ध्वनि प्रदूषण :-

आज के महानगरों में वाहनों , मशीनों और कल कारखानों के शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है । तेजी से आते-जाते वाहनों के स्वर के कारण मानसिक तनाव तथा हृदय रोग से आते-जाते वाहनों के स्वर के कारण मानसिक तनाव तथा हृदय रोग , रक्तचाप जैसी बीमारियां जन्म ले रही है।

भूमि प्रदूषण

भूमि प्रदूषण के लिए भी आज का विज्ञान उत्तरदाई है।अधिक अन्य उगाने के लिए जिस प्रकार की रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है। उससे भूमि प्रदूषित हो रही है । कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से अनेक प्रकार की विपत्तियां मानव को सता रही है।

जल प्रदूषण

इन्हीं कारखानों से निकलने वाली दूषित पदार्थ , कचरा तथा विषैले रसायन इत्यादि कुछ नदी , नालों में बहा दिया जाता है। जिससे उनका जल प्रदूषित हो रहा है।गंगा जैसी पवित्र नदी का जल भी आज प्रदूषित हो गया है। जब जल प्रदूषित होगा तो शुद्ध जल कहां से उपलब्ध होगा। प्रदूषित जल का सेवन करने से अनेक घातक रोग हो जाते हैं।

विशेष तथ्य

प्रदूषण एक घातक समस्या है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रही है।जनसंख्या की अध्यक्षता तथा इसके लिए आवास की समस्या को हल करने के लिए वृक्षों की जिस प्रकार अंधाधुंध कटाई की जा रही है, उसे प्रकृति भी नाराज होकर हम से बदला ले रही है । आज शुद्ध जल , शुद्ध वायु का अभाव हो गया है। वायुमंडल में मिली जहरीली गैसों काय कैसे विश का काम कर रही है जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य को घुन की तरह खाए जा रही है।

निवारण

प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षों का लगाया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जाना आवश्यक है। सरकार के ऐसे उद्योगों को आवासीय स्थानों से दूर लगाना चाहिए , जो प्रदूषण फैलाते हैं। वनों वनों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए।सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिसमें अस्पष्ट निर्देश दिए गए हो कि जो उद्योग प्रदूषण फैलाएगा उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।

Answered by itsmepapakigudiya
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Answer:

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं ।

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं ।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है । वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं । जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी प्रवाहित किया जाता रहा है । इससे जल के भंडार; जैसे-तालाब, नदियाँ,झीलें और समुद्र का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है ।.

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