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भारतीय संस्कृति
भारत की संस्कृति में सबकुछ है जैसे विरासत के विचार, लोगों की जीवन शैली, मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, मूल्य, आदतें, परवरिश, विनम्रता, ज्ञान आदि। भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है जहाँ लोग अपनी पुरानी मानवता की संस्कृति और परवरिश का अनुकरण करते हैं। संस्कृति दूसरों से व्यवहार करने का, सौम्यता से चीजों पर प्रतिक्रिया करने का, मूल्यों के प्रति हमारी समझ का, न्याय, सिद्धांत और मान्यताओं को मानने का एक तरीका है। पुरानी पीढ़ी के लोग अपनी संस्कृति और मान्यताओं को नयी पीढ़ी को सौंपते हैं। इसलिये सभी बच्चे यहाँ पर अच्छे से व्यवहार करते हैं क्योंकि उनको ये संस्कृति और परंपराएँ पहले से ही उनके माता-पिता और दादा –दादी से मिली होती हैं। हमलोग यहाँ सभी चीजों में भारतीय संस्कृति की झलक देख सकते हैं जैसे नृत्य, संगीत, कला, व्यवहार, सामाजिक नियम, भोजन, हस्तशिल्प, वेशभूषा आदि। भारत एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसके पास विभिन्न मान्यताएँ और व्यवहार है जो कि अलग-अलग संस्कृतियों को यहाँ जन्म देता है।लगभग पाँच हजार वर्ष पहले से ही विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति की अपनी जड़ है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ वेदों से हिन्दू धर्मका आरंभ हुआ है। हिन्दू धर्म के सभी पवित्रधर्मग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये है। ये भी माना जाता है कि जैन धर्म का आरंभ प्राचीन समय से है और इसका अस्तित्व सिन्धु घाटी में था। बुद्ध एक दूसरा धर्म है जिसकी उत्पत्ति भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा के बाद अपने देश में हुयी है। ईसाई धर्म को यहाँ अंग्रेज और फ्रांसीसी लेकर आये जिन्होंने लगभग 200 वर्ष के लंबे समय तक यहाँ पर राज किया। इस तरीके से विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति यहाँ प्राचीन समय से या किसी तरह से यहाँ लायी गयी है। हालाँकि, अपने रीति-रिवाज़ और मान्यताओं को बिना प्रभावित किये सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से एकसाथ रहते हैं।कई सारे युग आये और गये लेकिन कोई भी इतना प्रभावशाली नहीं हुआ कि वो हमारी वास्तविकसंस्कृति को बदल सके। नाभिरज्जु के द्वारापुरानी पीढ़ी की संस्कृति नयी पीढ़ी से आज भी जुड़ी हुयी है। हमारी राष्ट्रीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यवहार करना, बड़ों की इज़्ज़त करना, मजबूर लोगों की मददकरना और गरीब और जरुरत मंद लोगों की मदद करना सिखाती है। ये हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम व्रत रखे, पूजा करें, गंगा जल अर्पण करें, सूर्य नमस्कार करें, परिवार के बड़ों सदस्यों का पैर छुएँ, रोज ध्यान और योग करें तथा भूखे और अक्षम लोगोंको अन्न-जल दें। हमारे राष्ट्र की ये महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रुप होता है इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है। हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आध्यात्मिक कार्य है।
भारत की संस्कृति में सबकुछ है जैसे विरासत के विचार, लोगों की जीवन शैली, मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, मूल्य, आदतें, परवरिश, विनम्रता, ज्ञान आदि। भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है जहाँ लोग अपनी पुरानी मानवता की संस्कृति और परवरिश का अनुकरण करते हैं। संस्कृति दूसरों से व्यवहार करने का, सौम्यता से चीजों पर प्रतिक्रिया करने का, मूल्यों के प्रति हमारी समझ का, न्याय, सिद्धांत और मान्यताओं को मानने का एक तरीका है। पुरानी पीढ़ी के लोग अपनी संस्कृति और मान्यताओं को नयी पीढ़ी को सौंपते हैं। इसलिये सभी बच्चे यहाँ पर अच्छे से व्यवहार करते हैं क्योंकि उनको ये संस्कृति और परंपराएँ पहले से ही उनके माता-पिता और दादा –दादी से मिली होती हैं। हमलोग यहाँ सभी चीजों में भारतीय संस्कृति की झलक देख सकते हैं जैसे नृत्य, संगीत, कला, व्यवहार, सामाजिक नियम, भोजन, हस्तशिल्प, वेशभूषा आदि। भारत एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसके पास विभिन्न मान्यताएँ और व्यवहार है जो कि अलग-अलग संस्कृतियों को यहाँ जन्म देता है।लगभग पाँच हजार वर्ष पहले से ही विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति की अपनी जड़ है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ वेदों से हिन्दू धर्मका आरंभ हुआ है। हिन्दू धर्म के सभी पवित्रधर्मग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये है। ये भी माना जाता है कि जैन धर्म का आरंभ प्राचीन समय से है और इसका अस्तित्व सिन्धु घाटी में था। बुद्ध एक दूसरा धर्म है जिसकी उत्पत्ति भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा के बाद अपने देश में हुयी है। ईसाई धर्म को यहाँ अंग्रेज और फ्रांसीसी लेकर आये जिन्होंने लगभग 200 वर्ष के लंबे समय तक यहाँ पर राज किया। इस तरीके से विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति यहाँ प्राचीन समय से या किसी तरह से यहाँ लायी गयी है। हालाँकि, अपने रीति-रिवाज़ और मान्यताओं को बिना प्रभावित किये सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से एकसाथ रहते हैं।कई सारे युग आये और गये लेकिन कोई भी इतना प्रभावशाली नहीं हुआ कि वो हमारी वास्तविकसंस्कृति को बदल सके। नाभिरज्जु के द्वारापुरानी पीढ़ी की संस्कृति नयी पीढ़ी से आज भी जुड़ी हुयी है। हमारी राष्ट्रीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यवहार करना, बड़ों की इज़्ज़त करना, मजबूर लोगों की मददकरना और गरीब और जरुरत मंद लोगों की मदद करना सिखाती है। ये हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम व्रत रखे, पूजा करें, गंगा जल अर्पण करें, सूर्य नमस्कार करें, परिवार के बड़ों सदस्यों का पैर छुएँ, रोज ध्यान और योग करें तथा भूखे और अक्षम लोगोंको अन्न-जल दें। हमारे राष्ट्र की ये महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रुप होता है इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है। हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आध्यात्मिक कार्य है।
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