Hindi, asked by rekharr1424, 1 year ago

"berojgari": samasya aur samadhan essay in hindi with prastavana, karan, upay and upsanhar in "150" words

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Answered by ABHINAVrAI
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                बेरोज़गारी : समस्या और समाधान

भूमिका -

बेरोजगारी उन्नति के रास्ते में बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगारी का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना। आज भारत को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी समस्याओं में से बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। प्राचीनकाल में हमारा भारत पूर्ण रूप से संपन्न देश था इसी वजह से इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।

बहुत सालो से इस समस्या को दूर करने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिल पायी है। इसकी वजह से बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। आर्थिक योजनाओं में यह सबसे बड़ी रुकावट है। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती।

आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं। हम चारों तरफ से चोरी ,छीना-छपटी , खून और लूटमार की बातें सुनते रहते हैं। आज के समय में सभी जगह पर हड़तालें की जा रही हैं। आजकल हर किसी को अपने परिवार के पेट को भरने की चिंता रहती है।

वो लोग अपने परिवार का पेट अच्छाई के मार्ग पर चलकर भरें या बुराई के मार्ग पर चलकर इस बात का कोई मूल्य नहीं है। बेरोजगारी सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यह समस्या गांवों और शहरों में समान रूप से फैली हुई है।

बेरोज़गारी के कारण –

जनसंख्या में वृद्धि : हमारे देश की बेरोजगारी में रोज वृद्धि हो रही है। हमारी सरकार इस समस्या का हल ढूंड रही है पर लगातार बढती जनसंख्या इसका हल नहीं ढूंढने देती है। हर साल जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे कई गुना लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है।

जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण शिक्षा के साधनों में कमी होने लगी जिससे लोग अशिक्षित रह गये। हमारे देश में अशिक्षित पुरुष और स्त्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है। बढती जनसंख्या बेरोजगारी का बहुत ही बड़ा कारण है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी और अवसर में बहुत कम वृद्धि हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।


अधूरी शिक्षा प्रणाली : हजारों सालों से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारी शिक्षा प्रणाली के अधुरा होने की वजह से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। अधूरी शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजी सरकार ने परतंत्र के समय में भारतियों को क्लर्क बनाने के लिए शुरू की थी। आगे चलकर जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे परेशानियाँ भी बदलने लगीं। इस शिक्षा प्रणाली से सिर्फ ऐसे लोग तैयार होते हैं जो बाबु बनते हैं।

जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा था कि हर साल लाखों लोग शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी के लिए तैयार होते हैं लेकिन हमारे पास नौकरियां बहुत ही कम होती हैं। ऐसे लोगों को नौकरी न मिलने की वजह से ये बेकार हो जाते है। आजकल किसी को भी एम० ए० या बी० ए० किये लोग नहीं उन्हें सिर्फ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक चाहिएँ। इसी कारण से लोग बहुत कम लोग शिक्षा ग्रहण करते हैं।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे।


 हमारी शिक्षा प्रणाली में साक्षरता को अधिक महत्व दिया जाता है। तकनीकी शिक्षा में केवल सैद्धांतिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है इसमें व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है इसी वजह से लोग मशीनों पर काम करने से कतराते है। साधारण शिक्षा से हम सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनते हैं इसमें मेहनत का कोई काम नहीं होता है।

समाधान –

प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों में छिपा रहता है | अतः यदि ऊपर-कथित कारणों प्र प्रभावी रोक लगाई जाए तो बेरोज़गारी की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो सकता है | व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशिनिकरण प्र नियंत्रण, कंप्यूटरीकरण पर नियंत्रण, रोज़गार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागु किया जाना चाहिए |

जनसंख्या वृद्धि पर रोक और शिक्षा : जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा।

देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बेरोजगारी की समस्या को सुलझाने के लिए मन की भावना को बदलना बहुत जरूरी है।


उपसंहार -

बरोजगारी देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। लोगों का कहना है कि अभी सरकार को बेरोजगारी से छुटकारा नहीं मिल पाया है पर वो इतने साधन जुटा रही है जिससे भविष्य में बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके।

बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई , ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है। सरकार बेरोजगारी को दूर करने के लिए बहुत से कदम उठा रही है। भविष्य में एक समय ऐसा होगा जिसमे हर एक व्यक्ति के पास काम होगा। नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है।



rekharr1424: Coz I first time ask any question.
rekharr1424: Do you know ans. of it...
ABHINAVrAI: Oh ho!!!
ABHINAVrAI: Thanks bhai
rekharr1424: Do you know ans...
rekharr1424: Bhai Ni behan
ABHINAVrAI: Oh!!! Sorry behan..
rekharr1424: It's ok
Answered by mannatmarya
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बेरोजगारी उन्नति के रास्ते में बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगारी का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना। आज भारत को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी समस्याओं में से बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। प्राचीनकाल में हमारा भारत पूर्ण रूप से संपन्न देश था इसी वजह से इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।


बहुत सालो से इस समस्या को दूर करने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिल पायी है। इसकी वजह से बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। आर्थिक योजनाओं में यह सबसे बड़ी रुकावट है। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती।


आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं। हम चारों तरफ से चोरी ,छीना-छपटी , खून और लूटमार की बातें सुनते रहते हैं। आज के समय में सभी जगह पर हड़तालें की जा रही हैं। आजकल हर किसी को अपने परिवार के पेट को भरने की चिंता रहती है।


वो लोग अपने परिवार का पेट अच्छाई के मार्ग पर चलकर भरें या बुराई के मार्ग पर चलकर इस बात का कोई मूल्य नहीं है। बेरोजगारी सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यह समस्या गांवों और शहरों में समान रूप से फैली हुई है।


बेरोज़गारी के कारण –


जनसंख्या में वृद्धि :


हमारे देश की बेरोजगारी में रोज वृद्धि हो रही है। हमारी सरकार इस समस्या का हल ढूंड रही है पर लगातार बढती जनसंख्या इसका हल नहीं ढूंढने देती है। हर साल जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे कई गुना लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है।


जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण शिक्षा के साधनों में कमी होने लगी जिससे लोग अशिक्षित रह गये। हमारे देश में अशिक्षित पुरुष और स्त्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है। बढती जनसंख्या बेरोजगारी का बहुत ही बड़ा कारण है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी और अवसर में बहुत कम वृद्धि हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।


अधूरी शिक्षा प्रणाली :


हजारों सालों से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारी शिक्षा प्रणाली के अधुरा होने की वजह से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। अधूरी शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजी सरकार ने परतंत्र के समय में भारतियों को क्लर्क बनाने के लिए शुरू की थी। आगे चलकर जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे परेशानियाँ भी बदलने लगीं। इस शिक्षा प्रणाली से सिर्फ ऐसे लोग तैयार होते हैं जो बाबु बनते हैं।


जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा था कि हर साल लाखों लोग शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी के लिए तैयार होते हैं लेकिन हमारे पास नौकरियां बहुत ही कम होती हैं। ऐसे लोगों को नौकरी न मिलने की वजह से ये बेकार हो जाते है। आजकल किसी को भी एम० ए० या बी० ए० किये लोग नहीं उन्हें सिर्फ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक चाहिएँ। इसी कारण से लोग बहुत कम लोग शिक्षा ग्रहण करते हैं।


आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे।


हमारी शिक्षा प्रणाली में साक्षरता को अधिक महत्व दिया जाता है। तकनीकी शिक्षा में केवल सैद्धांतिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है इसमें व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है इसी वजह से लोग मशीनों पर काम करने से कतराते है। साधारण शिक्षा से हम सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनते हैं इसमें मेहनत का कोई काम नहीं होता है।


समाधान –


प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों में छिपा रहता है | अतः यदि ऊपर-कथित कारणों प्र प्रभावी रोक लगाई जाए तो बेरोज़गारी की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो सकता है | व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशिनिकरण प्र नियंत्रण, कंप्यूटरीकरण पर नियंत्रण, रोज़गार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागु किया जाना चाहिए |


जनसंख्या वृद्धि पर रोक और शिक्षा :


जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा।


देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बेरोजगारी की समस्या को सुलझाने के लिए मन की भावना को बदलना बहुत जरूरी है।


उपसंहार -


बरोजगारी देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। लोगों का कहना है कि अभी सरकार को बेरोजगारी से छुटकारा नहीं मिल पाया है पर वो इतने साधन जुटा रही है जिससे भविष्य में बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके।


बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई , ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है। सरकार बेरोजगारी को दूर करने के लिए बहुत से कदम उठा रही है। भविष्य में एक समय ऐसा होगा जिसमे हर एक व्यक्ति के पास काम होगा। नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है।




Plz mark me as brainliest

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