best essay on baal vivah
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बाल विवाह यानि कि बच्चों की बचपन में ही शादी कर देना। बाल विवाह जैसी कुरीती केवल भारत में ही नहीं है बल्कि पूरे विश्व में पाई गई है लेकिन बाल विवाह में भारत का सबसे बड़ा स्थान है। बाल विवाह दो अपरिपक्व बच्चों की शादी करना है जो कि एक दुसरे से बिल्कुल ही अंजान होते है। बाल विवाह कोई नई कुरीति नहीं है अपितु यह भारत में दिल्ली सल्तनत के राजशाही वक्त से चलती आ रही है। लोग अपनी बेटियों की इज्जत विदेशी शासकों द्वारा लुटे जाने के डर से कम उमर में ही कर देते थे। लड़कियों की शादी को भोज समझा जाता था और बुजुरगों की पोता देखने की चाहत के कारण भी बाल विवाह किए जाते थे।बाल विवाह आज भी हमारे समाज में मौजुद है। 40 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 से कम उमर में ही कर दी जाती है। शहरों की बजाय गाँवों में बाल विवाह ज्यादा देखने को मिलते है। बहुत से बाल विवाह तो ऐसे भी होते है कि बड़ी बहन की शादी कर रहे है तो साथ साथ छोटी की भी कर देते है जिससे शादी में होने वाला खर्चा बचेगा। कच्ची उमर में की गई शादियों को कारण बच्चे कुछ भी समझ नही पाते और न ही कुछ संभाल पाते है। फिर ये शादियाँ या तो तलाक तक पहुँच जाती है या फिर मरने तक। बाल विवाह के कारण शिशु और महिलाओं की मृत्यु दर बढ़ रही है। उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। एच.आई.वी. जैसे बिमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
आज के समाज में भी बाल विवाह जैसी कुरीति ने अपने पैर पसारे हुए है क्योंकि लोग जागरूक नहीं है, उनकी सोच आज भी रूढिवादी है और वो आज भी लड़कियों की शादी को भोझ समझते है। बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए पहले भी बहुत से लोगों ने कोशिशें की थी जिनमें से मुख्य सहयोग राजा राम मोहन राय ता है। उन्होनें ब्रिटिश सरकार द्वारा एक एक्ट पास कराया जिसके तहत शादी के लिए लडके की न्युनतम आयु 18 वर्ष और लड़की की 14 वर्ष कर दी गई थी। उसके बाद कानुन में बदलाव किए गए जिसमें लड़के की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष कर दी गई है।
सरकार ने भी बच्चों की शादी पर प्रतिबंध लगाया है और अगर कोई बाल विवाह करवाता हुआ पकड़ा गया तो सख्त सजा दी जाएगी। बाल विवाह जैसी कुरीति को समाज से खत्म करने के लिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा, मीडिया और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जागरूक करना होगा।
आज के समाज में भी बाल विवाह जैसी कुरीति ने अपने पैर पसारे हुए है क्योंकि लोग जागरूक नहीं है, उनकी सोच आज भी रूढिवादी है और वो आज भी लड़कियों की शादी को भोझ समझते है। बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए पहले भी बहुत से लोगों ने कोशिशें की थी जिनमें से मुख्य सहयोग राजा राम मोहन राय ता है। उन्होनें ब्रिटिश सरकार द्वारा एक एक्ट पास कराया जिसके तहत शादी के लिए लडके की न्युनतम आयु 18 वर्ष और लड़की की 14 वर्ष कर दी गई थी। उसके बाद कानुन में बदलाव किए गए जिसमें लड़के की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष कर दी गई है।
सरकार ने भी बच्चों की शादी पर प्रतिबंध लगाया है और अगर कोई बाल विवाह करवाता हुआ पकड़ा गया तो सख्त सजा दी जाएगी। बाल विवाह जैसी कुरीति को समाज से खत्म करने के लिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा, मीडिया और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जागरूक करना होगा।
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