best hindi speech on atal bihari vajpayee....
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Hii mate
here's ur answer
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में सर्वाधिक प्रसन्नता का क्षण संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने हिंदी भाषण को बताया था। वाजपेयी का ये भाषण ऐतिहासिक था, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ये पहली बार हुआ था कि किसी भारतीय ने हिंदी में भाषण दिया था। आप भी पढ़िए 1977 में क्या थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्द।
सरकार की बागडोर संभाले केवल छ: महीने हुए हैं। फिर भी इतने कम समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। भारत में मूलभूत मानवाधिकार पुन: प्रतिष्ठित हो गए हैं। जिस भय और आतंक के वातावरण ने हमारे लोगों को घेर लिया था वह अब खत्म हो गया है। ऐसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं कि यह सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा।
अध्यक्ष महोदय, वसुधैव कुटुम्बकम की परिकल्पना बहुत पुरानी है। भारत में सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है। अनेकानेक प्रयत्नों और कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के साकार होने की संभावना है। यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं। आम आमदी की प्रतिष्ठा और प्रगति मेरे लिए कहीं अधिक महत्व रखती है।
अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं केवल एक ही मापदंड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज, वस्तुत: हर नर, नारी और बालक के लिए न्याय और गरिमा की आश्वस्ति देने में प्रयत्नशील हैं। अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट है प्रश्न ये है कि किसी जनता को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंगभेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत और किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय और दमन करता रहेगा। नि:संदेह रंगभेद के सभी रूपों का उन्मूलन होना चाहिए।
हाल में इजराइल ने वेस्ट बैंक को गाजा में नई बस्तियां बसाकर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है, संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार और रद्द कर देना चाहिए। यदि इन समस्याओं का संतोषजनक और शीघ्र ही समाधान नहीं होता इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं। यह अति आवश्यक है कि जेनेवा सम्मेलन का शीघ्र ही पुन: आयोजन किया जाए और उसमें पीएलओ को प्रतिनिधित्व दिया जाए। अध्यक्ष महोदय, भारत सब देशों से मैत्री चाहता है और किसी पर प्रभुत्व स्थापित नहीं करना चाहता।
भारत न तो आणविक शस्त्र शक्ति है और ना बनना चाहता है। नई सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनर्घोषणा की है। हमारी कार्यसूची का एक सर्वस्पर्शी विषय जो आगामी अनेक वर्षों और दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य। मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।
hope it helps u...
plz mark it as brainliest
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अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में सर्वाधिक प्रसन्नता का क्षण संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने हिंदी भाषण को बताया था। वाजपेयी का ये भाषण ऐतिहासिक था, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ये पहली बार हुआ था कि किसी भारतीय ने हिंदी में भाषण दिया था। आप भी पढ़िए 1977 में क्या थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्द।
सरकार की बागडोर संभाले केवल छ: महीने हुए हैं। फिर भी इतने कम समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। भारत में मूलभूत मानवाधिकार पुन: प्रतिष्ठित हो गए हैं। जिस भय और आतंक के वातावरण ने हमारे लोगों को घेर लिया था वह अब खत्म हो गया है। ऐसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं कि यह सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा।
अध्यक्ष महोदय, वसुधैव कुटुम्बकम की परिकल्पना बहुत पुरानी है। भारत में सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है। अनेकानेक प्रयत्नों और कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के साकार होने की संभावना है। यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं। आम आमदी की प्रतिष्ठा और प्रगति मेरे लिए कहीं अधिक महत्व रखती है।
अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं केवल एक ही मापदंड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज, वस्तुत: हर नर, नारी और बालक के लिए न्याय और गरिमा की आश्वस्ति देने में प्रयत्नशील हैं। अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट है प्रश्न ये है कि किसी जनता को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंगभेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत और किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय और दमन करता रहेगा। नि:संदेह रंगभेद के सभी रूपों का उन्मूलन होना चाहिए।
हाल में इजराइल ने वेस्ट बैंक को गाजा में नई बस्तियां बसाकर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है, संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार और रद्द कर देना चाहिए। यदि इन समस्याओं का संतोषजनक और शीघ्र ही समाधान नहीं होता इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं। यह अति आवश्यक है कि जेनेवा सम्मेलन का शीघ्र ही पुन: आयोजन किया जाए और उसमें पीएलओ को प्रतिनिधित्व दिया जाए। अध्यक्ष महोदय, भारत सब देशों से मैत्री चाहता है और किसी पर प्रभुत्व स्थापित नहीं करना चाहता।
भारत न तो आणविक शस्त्र शक्ति है और ना बनना चाहता है। नई सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनर्घोषणा की है। हमारी कार्यसूची का एक सर्वस्पर्शी विषय जो आगामी अनेक वर्षों और दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य। मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।
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sakshigoyal1119:
hello
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