Music, asked by cosmersurya8662, 1 year ago

Beti bachao bati padhao padhane ka youjana

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Answered by nisharoy4
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jaise beta ko padhaya jata hai waise hi beti ko bhi padhaya jaye
Answered by itzlisa91331
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हमारा मंत्र होना चाहिए: 'बेटा बेटी एक समान'

आइए कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अपनी बेटी के जन्मोत्सव पर आप पांच पेड़ लगाएं।

प्रधान मंत्री अपने गोद लिए गांव जयापुर के नागरिकों से

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत प्रधान मंत्री ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में की थी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।

इस योजना के मुख्य घटकों में शामिल हैं प्रथम चरण में PC तथा PNDT Act को लागू करना, राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रचार अभियान चलाना तथा चुने गए 100 जिलों (जहां शिशु लिंग अनुपात कम है) में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कार्य करना। बुनियादी स्तर पर लोगों को प्रशिक्षण देकर, संवेदनशील और जागरूक बनाकर तथा सामुदायिक एकजुटता के माध्यम से उनकी सोच को बदलने पर जोर दिया जा रहा है।

एनडीए सरकार कन्या शिशु के प्रति समाज के नजरिए में परिवर्तनकारी बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। प्रधान मंत्री मोदी ने अपने मन की बात में हरियाणा के बीबीपुर के एक सरपंच की तारीफ की जिसने 'Selfie With Daughter' पहल की शुरूआत की। प्रधान मंत्री ने लोगों से बेटियों के साथ      अपनी सेल्फी भेजने का अनुरोध भी किया और जल्द ही यह विश्व भर में हिट हो गया। भारत और दुनिया के कई देशों के लोगों ने बेटियों के साथ अपनी सेल्फी भेजी और यह उन सबके लिए एक गर्व का अवसर बन गया जिनकी बेटियां हैं।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत के बाद से लगभग सभी राज्यों में multi-sectoral District Action Plans चलाए जा रहे हैं। जिला स्तर के कर्मचारियों तथा frontline workers की क्षमता को और बढ़ाने के लिए प्रशिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अप्रैल से अक्टूबर 2015 तक इस तरह के नौ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं जिसमें सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को शामिल किया गया।

कुछ स्थानीय पहल

 

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत पिथौरागढ़ जिले ने बालिका शिशु को बचाने और उनकी शिक्षा के विभिन्न उपाय किए हैं। जिला कार्यबल और ब्लॉक कार्यबल गठित किए गए हैं। इन संगठनों की बैठकें आयोजित की गई हैं और शिशु लिंग अनुपात से संबंधित स्पष्ट रूपरेखा तैयार कर ली गई है। बड़े स्तर पर समुदाय के लोगों से संपर्क करने के लिए और इस योजना का व्यापक रूप से प्रचार करने के लिए जागरूकता बढ़ाने से संबंधित कार्यकिलाप चलाए जा रहे हैं। विभिन्न स्कूलों, सैनिक स्कूलों तथा सरकारी विभागों कर्मचारियों इत्यादि की प्रमुख भागीदारी से विभिन्न रैलियां आयोजित की गई हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पिथौरागढ़ में नुक्कड नाटक भी आयोजित किए जा रहे हैं। ये नुक्कड नाटक केवल गांव में ही नहीं बल्कि बाजारों में भी आयोजित किए जाते हैं ताकि दर्शकों के एक बड़े वर्ग को जागरूक बनाया जा सके। कहानियों के मंचन के माध्यम से लिंग आधारित गर्भपात की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक बनाया जा रहा है। शिशु बालिका से संबंधित मुद्दों तथा उसे अपने जीवन काल में जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है उन्हें इन नुक्कड नाटकों में बहुत अच्छी तरह से दिखाया जाता है। हस्ताक्षर अभियान, संकल्प और शपथ समारोह के माध्यम से स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के 700 विद्यार्थियों और अनेक सैन्य कर्मियों तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश पहुंचा है।

पंजाब के मानसा जिले ने एक पहल शुरू की है जिसमें वह जिले के लोगों को अपनी लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। 'उडान – सपने दी दुनिया दे रूबरू (उडान – एक दिन के लिए अपने सपने को जिएं)' योजना, के तहत मानसा प्रशासन छठी से बारहवीं कक्षाओं की छात्राओं से प्रस्ताव आमंत्रित करता है। इन छात्राओं को उस प्रोफेशनल के साथ एक दिन बिताने का अवसर मिलता है जो वे अपने जीवन में बनना चाहते हैं जैसे – डॉक्टश्र, पुलिस अधिकारी, इंजीनियर, आईएएस और पीपीएस अधिकारी और अन्य।

इस पहल काफी लोकप्रिय हुई है और 70 से अधिक छात्राओं को प्रोफेशनल के साथ एक दिन बिताने का अवसर पहले ही मिल चुका है जिसमें वे एक पेशेवर वातावरण में उन्हें कार्य करते हुए देखते हैं जिससे उन्हें अपने भावी करियर का चयन करने के बारे में सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।

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