Beti bachao beti padhao par nibandh chitra sahit
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Nibandh on beti bachao beti padhao की शुरुआत करने से पहले आपको बता दूँ की निबंध लिखने में ज्यादातर लोग फेल क्यों हो जाते हैं ! अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ेंगे तो पता चल जाएगा कि लेख कैसे लिखा जाता है और उसके साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का भी निबंध पूरा हो जाएगा ! बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के महेन्द्रगण जिले की थी क्योंकि उस समय जिले में महिला लिंग अनुपात सिर्फ 775 (1000 लड़कों पर सिर्फ 750 लड़कियाँ) था !योजना का मुख्य उद्देश्य है बेटियों के अस्तित्व को बचाना जिसमें मुख्यत भ्रूण हत्या को रोकना और लिंग अनुपात में पुरुष एवं महिलाओं की संख्या को बराबर करना है ! बेटियों को सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उसके साथ-साथ उसे शिक्षित करके एक सशक्त नागरिक के रूप में निर्मित करना शामिल है !जिसके कारण लगातार महिलाओं के लिंग अनुपात में गिरावट आते जा रहा है ! दमन और दीव का लिंग अनुपात 618 तक पहुंच चुका है जबकि भारत का लिंग अनुपात 940 है !जीव विज्ञान के अनुसार लड़के एवं लड़कियों का जन्म दर सामान होता है ! अगर हम प्राकृतिक तरीके को नहीं छेड़े तो हर हजार लड़कों के जन्म पर हजार लड़कियों का भी जन्म होगा !
(निबंध)
बेटी बचाओ, बेटी पढाओ
हमारी प्राचीन धर्म ग्रंथों में एक नीति वाक्य है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, तत्र रमंते देवता। अर्थात जहां पर नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। हमारी प्राचीन परंपरा भी नारियों का सदैव सम्मान करने की रही है। प्राचीन काल में नारियों को समान पुरुषों के समान अधिकार एवं सम्मान प्राप्त था। कालांतर में देश में बाहरी शक्तियों के आक्रमण के कारण इस परंपरा के पालन में कमी आई। बाहरी आक्रांताओं से बचाने के लिए हमने अपने घर की स्त्रियों को घर की चारदीवारी में कैद करके रख दिया। वे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो गई।
समाज पुरुष प्रधान हो गया, जहाँ नारियों को दोयम दर्ज का समझा जाने लगा। स्त्रियों को घर के कामों और चूल्हे-चौके तक सीमित करके रख दिया। देश के बहुत से हिस्सों में कन्या को बोझ समझा जाने लगा और कन्या के जन्म लेते ही या कन्या को भ्रूण अवस्था में ही मार दिया जाने लगा। इस कारण देश में के बहुत से हिस्सों में विशेषकर हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि में पुरुषों के मुकाबले कन्याओं की अनुपता दर बहुत कम है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बेटियों को बचाने और बेटियों को पढ़ा-लिखा कर आगे करने की एक पहल है जो भारत सरकार द्वारा शुरू की गई मुहिम है। इस मुहिम के अंतर्गत बालिकाओं को बालकों के सामान अच्छी शिक्षा हासिल करने के लिए प्रोत्साहन देना तथा कन्या भ्रूण या कन्या हत्या जैसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना है। समाज में लोगों को प्रेरित करना भी है कि स्त्री हो या पुरुष सब समान होते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भी उतनी ही भागीदारी आवश्यक है जितनी कि पुरुष की।
एक स्त्री के अंदर माँ, बहन, पत्नी, बेटी आदि सब होते हैं। इन सब संबंधों को सम्मान देना ही बेटी को सम्मान देने के समान है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इसी सोच का क्रियान्वन रूप है।
बेटी बचाओ मिट्टी बढ़ाओ नारे के अंतर्गत सरकार द्वारा बालिकाओं के कल्याण के लिए अनेक तरह की योजनाएं शुरू की गई है, जिससे उन्हें आगे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई न हो। बेटियों के माँ-बाप को भी कन्या को पालने की प्रेरणा मिलेगी। वह कन्या को बोझ ना समझे।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत सन 2015 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। इस योजना का मकसद बेटी के जन्म को प्रोत्साहन देना है। जब देश की बेटी पढ़-लिखकर देश के विकास में पुरुषों के समान योगदान देगी तभी उसी मुहिम की सार्थकता है।
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