Beti Bachao beti padhao per nibandh likho
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आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक और चांद पर जाने की बातें हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ भारत की बेटियां अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं। जिससे यह पता लगता है कि आज भी भारत देश पुरुष प्रधान देश है।
हमारे देश के लोगों की मानसिकता इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि वह महिलाओं और बेटियों का सम्मान नहीं करते हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता वह देश की प्रगति कभी भी नहीं हो सकती है।
हमारे देश के लोगों पर दकियानूसी सोच इतनी बड़ी हो गई है कि वे लोग अब बेटी और बेटियों में फर्क करने लगे हैं। वह बेटों को उचित शिक्षा दिलाते हैं और बेटियों को घर पर ही रहकर घर के काम सीखने को कहते हैं उन्हें किसी भी प्रकार की आजादी नहीं दी जाती है। जिसके कारण बेटियों का भविष्य अंधकार में चला गया है।
हमारे देश की बेटियां आज घर से निकलने पर भी कतराते हैं क्योंकि कुछ लोगों ने देश का माहौल इतना खराब कर दिया है कि आए दिन हम देखते हैं कि किसी ने किसी की बहन बेटी से बलात्कार की या छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
यह घटनाएं हमारे देश के लोगों की सोच को दर्शाती हैं कि उनकी सोच कितनी हद तक गिर चुकी है और इस बात कि ना तो उन्हें शर्म आती है ना ही उन्हें किसी प्रकार का पछतावा होता है।
हमारे देश में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही कन्या भ्रूण हत्या भी लोगों की मानसिकता का परिचय देती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामलों पर जल्द ही कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
बेटियों की उचित शिक्षा और उनकी सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम की योजना का प्रारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने बेटियों का महत्व भी बताया, उन्होंने कहा कि अगर बेटियां पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो पूरा परिवार ही अनपढ़ रह जाएगा। जिसके कारण हमारा भारत देश विकास विकासशील देश ही बनकर रह जाएगा कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा।
उन्होंने इस योजना के माध्यम से इस बात पर जोर दिया कि बेटियों के साथ जो भी भेदभाव हो रहे हैं उनको खत्म किया जाए और साथ ही उनको पढ़ने लिखने की भी आजादी दी जाए। बेटियों को भी अपना जीवन जीने का पूर्ण अधिकार होना चाहिए।
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