बगुला समाज के प्रकार की हैबगुला समाज के किस वर्ग का प्रतीक है
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बगुला- : दंभ, अहंकार तथा धोखे की प्रवृत्ति से लांछित पक्षी है l अत: निंदनीय है।
बगुला समाज के ढोंगी और पाखंडी वर्ग का प्रतीक है।
ऐसे ढोंगी और पाखंडी लोग जो समाज में दोहरा मुखौटा ओढ़े रहते हैं अतः दोहरा व्यक्तित्व जीते हैं। बगुला भी इसी तरह का प्रदर्शन करता है। वह तालाब में स्थिर होकर खड़ा रहता है, जैसे वह एक बहुत संत और सीधा-साधा प्राणी है, उससे किसी को कोई भय नहीं होना चाहिए। लेकिन जैसे ही कोई मछली आती है तो वह एकदम मछली पर झपट पड़ता है और मछली को अपनी चोंच में दबाकर निगल लेता है। बाद में वो फिर ऐसे पुनः सीधा साधा, भोला भाला बनकर खड़ा हो जाता है।
समाज में भी बहुत से ऐसे ढोंगी लोग होते हैं, जो अपने व्यक्तित्व को ऐसा जताते हैं जैसे वह सब शरीफ और ईमानदार हैं। लेकिन वास्तव में उनका मन अंदर से काला होता है और वह चुपके गलत कार्य भी करते हैं. लेकिन शरीफ होने का ढोंग और पाखंड करते हैं। इसीलिये समाज में अक्सर ढोंगी-पाखंडी लोगों को बगुला भगत कहा जाता है।
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