Hindi, asked by mv0966732, 2 months ago

बगरे झलक जाल हर होही नयन-कोर ला रोके।
स्नेह शून्य हो ही जेहर अब अंजन होके।।
मधु सेवन बिन होही जेहर भू विलास बिसराये।
ऐसे बाम नयन मृगनयनी के तैं हर सब जाये।।
फरक फरक उठ ही ऊपर अंग, शोभा माही कैसे।
मछली के डोला में डोलत नील कमल हो जैसे।।​

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Answered by yadavjanki092
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Answer:

सप्रसंग व्याख्या

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कवि का नाम

Answered by uttrabhuarya028
0

Answer:

prasng vyakhiya

Explanation:

kavi mane

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