बहुब्रीहि समास का सही उदाहरण है *
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आपने ऑप्शन नहीं दिया है. इसका उदाहरण होगा पहचान अंदर हो जिसका लंकेश रावण
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किसे कहते हैं ?
उत्तर – दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे – ‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।
समास विग्रह किसे कहते हैं ?
सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। जैसे-राजपुत्र-राजा का पुत्र।
पद (स्थान) किसे कहते हैं ?
जब शब्द वाक्य में प्रयोग होकर अपना एक विशेष स्थान प्राप्त कर लेता है तब वह शब्द पद कहलाता है।
पूर्वपद और उत्तरपद
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।
संधि और समास में क्या अंतर है ?
संधि वर्णों में होती है। इसमें विभक्ति या शब्द का लोप नहीं होता है। जैसे – देव+आलय = देवालय। समास दो पदों में होता है। समास होने पर विभक्ति या शब्दों का लोप भी हो जाता है। जैसे – माता-पिता = माता और पिता।
समास मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
द्वन्द्व समास
बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय (किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है– ‘जो व्यय न हो।‘
उदाहरण
हिन्दी अव्यय : जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।) हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे – यथामति (मति के अनुसार),
यथासामर्थ्य – सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
यथाविधि- विधि के अनुसार
यथाक्रम – क्रम के अनुसार
तत्पुरुष समास
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे – तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)
गिरहकट – गिरह को काटने वाला
मनचाहा – मन से चाहा
रसोईघर – रसोई के लिए घर
देशनिकाला – देश से निकाला
गंगाजल – गंगा का जल,
द्वन्द्व समास
– जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है, वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे-पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
सीता-राम – सीता और राम
ऊँच-नीच – ऊँच और नीच
अन्न-जल – अन्न और जल
खरा-खोटा – खरा और खोटा
राधा-कृष्ण – राधा और कृष्ण
बहुव्रीहि समास
जिस समास के दोनों पदों के अतिरिक्त कोई अन्य अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे – दशानन – दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
सुलोचना – सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी
पीतांबर – पीले है अम्बर (वस्त्र) जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण
लंबोदर – लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेशजी
दुरात्मा – बुरी आत्मा वाला (कोई दुष्ट)
श्वेतांबर – श्वेत है जिसके अंबर (वस्त्र) अर्थात् सरस्वती जी
तत्पुरुष समास का एक अन्य भेद भी है जिसे द्विगु समास कहते हैं।
द्विगु
– जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे
नवग्रह – नौ ग्रहों का मसूह
त्रिलोक – तीनों लोकों का समाहार
नवरात्र – नौ रात्रियों का समूह
अठन्नी – आठ आनों का समूह
दोपहर – दो पहरों का समाहार
चौमासा – चार मासों का समूह
शताब्दी – सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
Note: तत्पुरुष समास के भी भेद है आप अलग से इसे जरूर पड़े
तत्पुरुष समास की परिभाषा
तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।
तत्पुरुष समास के उदाहरण :
मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार
काल को जीतने वाला — कालजयी
राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही
खुद को मारने वाला — आत्मघाती
मांस को खाने वाला — मांसाहारी
शाक को खाने वाला — शाकाहारी