बहुभाषी समाज का केंद्र हिंदी निबंध
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जैसे अगर किसी बच्चे के घर पर मिजो बोली जाती है। स्कूल में होने वाली पढ़ाई इंग्लिश और हिंदी में होती है तो बच्चे के लिए स्कूल में समायोजन करना काफी मुश्किल होगा अगर उसको अपनी भाषा में बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे के घर में गुजराती, मराठी या हिंदी बोली जाती है और स्कूल में पढ़ाई का माध्यम इंग्लिश है तो ऐसे में बच्चा एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आता है। धीरे-धीरे उसमें कुशलता का एक स्तर हासिल करता है। एक से अधिक भाषाओं के प्रति सम्मान का भाव और मूलतः एक से अधिक भाषाओं के इस्तेमाल के विचार को स्वीकार करना और उसे रोजमर्रा के जीवन में स्थान देना ही, सही मायने में बहुभाषिकता है।
उदाहरण के तौर पर राजस्थान के आदिवासी अंचल में ‘साक्षरता’ पर आयोजित एक समारोह में बच्चों से स्कूल की लायब्रेरी और किताबों से दोस्ती करने के बारे में बात हो रही थी। इसी बातचीत के दौरान घर के लोगों को कहानी पढ़कर सुनाने का भी जिक्र हो आया। एक लड़की ने सवाल किया, “घर के लोगों को कहानी कैसे सुनाएं? अगर उनको अपनी किताब से कहानी पढ़कर सुनाते हैं तो कहानी उनको समझ में नहीं आती?” यह आज के दिन का सबसे अच्छा सवाल था।
आखिर में हम कह सकते हैं, “हम सभी मूलतः बहुभाषी हैं। किसी एक भाषा से हमारा काम चल ही नहीं सकता है। हम स्कूल में एक भाषा बोलते हैं, घर पर दूसरी भाषा बोलते हैं, दोस्तों के साथ किसी अन्य भाषा में संवाद करते हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सी अन्य भाषाओं में हम बोलते कम हैं। मगर उसमें लिखने-पढ़ने का काम करते हैं जैसे अंग्रेजी। बहुत से हिंदी-भाषी राज्यों में अंग्रेजी में संवाद करने की जरूरत आमतौर पर नहीं पड़ती। मगर वहां के लोग अंग्रेजी के अखबार, पत्रिकाएं, उपन्यास और कहानियां इत्यादि पढ़ते हैं।
बहुभाषिकता है समाधान
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उदाहरण के तौर पर राजस्थान के आदिवासी अंचल में ‘साक्षरता’ पर आयोजित एक समारोह में बच्चों से स्कूल की लायब्रेरी और किताबों से दोस्ती करने के बारे में बात हो रही थी। इसी बातचीत के दौरान घर के लोगों को कहानी पढ़कर सुनाने का भी जिक्र हो आया। एक लड़की ने सवाल किया, “घर के लोगों को कहानी कैसे सुनाएं? अगर उनको अपनी किताब से कहानी पढ़कर सुनाते हैं तो कहानी उनको समझ में नहीं आती?” यह आज के दिन का सबसे अच्छा सवाल था।
आखिर में हम कह सकते हैं, “हम सभी मूलतः बहुभाषी हैं। किसी एक भाषा से हमारा काम चल ही नहीं सकता है। हम स्कूल में एक भाषा बोलते हैं, घर पर दूसरी भाषा बोलते हैं, दोस्तों के साथ किसी अन्य भाषा में संवाद करते हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सी अन्य भाषाओं में हम बोलते कम हैं। मगर उसमें लिखने-पढ़ने का काम करते हैं जैसे अंग्रेजी। बहुत से हिंदी-भाषी राज्यों में अंग्रेजी में संवाद करने की जरूरत आमतौर पर नहीं पड़ती। मगर वहां के लोग अंग्रेजी के अखबार, पत्रिकाएं, उपन्यास और कहानियां इत्यादि पढ़ते हैं।
बहुभाषिकता है समाधान
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janasoumen578:
thnx!!!
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