बह चले रश्मि के प्राण, विहग के गान, मधुर निर्झर के स्वर
झर-झर, झर-झर।
प्राची का अरुणाभ क्षितिज,
मानो अंबर की सरसी में
फूला कोई रक्तिम गुलाब, रक्तिम सरसिज।
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kabir ki sahiya
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