भंडारगृह की आवश्यकताओं को समझाइए।
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भण्डारण का अर्थ है बड़ी मात्रा में वस्तुओं को, उनकी खरीद अथवा उत्पादन केसमय से लेकर उनके वास्तविक उपयोग अथवा विक्रय के समय तक सुरक्षित रखना।भण्डारण गृह अथवा गोदाम शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है, अत: जहाँ वस्तुओं कोसंग्रहित किया जाता है , वह भण्डार गृह कहलाता है। भण्डारण से वस्तुओं के उत्पादनऔर उपयोग के बीच के समय की दूरी कम होने से उपयोगिता का निर्माण होता है।भण्डारण का अर्थ है बड़ी मात्रा में वस्तुओं को, उनकी खरीद अथवा उत्पादन केसमय से लेकर उनके वास्तविक उपयोग अथवा विक्रय के समय तक सुरक्षित रखना।भण्डारण गृह अथवा गोदाम शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है, अत: जहाँ वस्तुओं कोसंग्रहित किया जाता है , वह भण्डार गृह कहलाता है। भण्डारण से वस्तुओं के उत्पादनऔर उपयोग के बीच के समय की दूरी कम होने से उपयोगिता का निर्माण होता है।
भण्डारण का महत्व
कच्चेमाल का संग्रहण- यदि उत्पादन की निरन्तरता को बनाए रखने है तो कच्चे माल की एक निश्चित मात्रा सदैव उपलब्ध रखनी होगी। यहीं नही, कुछ कच्चे माल ऐसे हैे जो केवल विशेष मौसम में ही उपलब्ध होते है जैसे कपास, तिलहन, जबकि उत्पादन में इनकी आवश्यकता पूरे वर्ष रहती है। इसीलिए इन्हे स्टॉक में रखना पड़ता है जिससे आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके।
मूल्य वृद्धि की संभावना के कारण संग्रहण- निर्माता यदि यह समझता है कि कच्चे माल की कमी होगी तथाभविष्य में उसके मूल्य में वृध्दि होगी तो वह इसका संग्रह अवश्य करेगा।यह समान रूप से व्यापारियों के लिए भी सत्य है जो माल के मूल्य मेंवृद्धि की संभावना को देखते हुए माल का संग्रहण अवश्य करेगें।
तैयार माल का संग्रहण- साधारणत: माल के विक्रय की संभावना को ध्यान में रखकर हीउत्पादन किया जाता है। वस्तुओं का उत्पादन पूरे वर्ष होता है। लेकिनइनका उपयोग वर्ष की निश्चित अवधि में ही होता है जैसे कि बिजली केपंखे, ऊनी कपड़े आदि। इसी प्रकार से कुछ वस्तुएं ऐसी है जिनकाउत्पादन तो वर्ष के एक विशेष समय म ें होता है। लेकिन उनका उपयोगपूरे वर्ष किया जाता है जैसे कि चीनी। इस कारण इनके संग्रहण की भीआवश्यकता होती है।
थोक विक्रेताओ द्वारा माल का संग्रहण- थोक विक्रते ा बड़ी मात्रा में वस्तुओं का क्रय करते हैं तथा समय-समयपर फुटकर विक्रेताओं को छोटी मात्रा में उनकी आवश्यकतानुसार माल काविक्रय करते हैं।
पैकेजिंग एवं वस्तुओं को श्रेणीबद्ध करना- भंडारगृहों में वस्तुओं को आकार या गुणवत्ता के आधार परविभिन्न वर्गो में विभक्त किया जाता है ताकि सरलता से उन्हें उपयोग मेंलाया जा सके तथा उनकी बिक्री की जा सके।
आयातकों के लिए उपयोगी- कुछ भंडारगृह (जिन्हें बधंक मालगोदाम कहते हैं) को उस समय तक आयात किये गये माल के संग्रहण केलिए उपयोग में लाया जाता है जब तक की आयातक उनके सीमा शुल्कका भुगतान न कर दें।
भण्डार गृहों के प्रकार
निजी भण्डारगृह- व्यापारी या विनिर्माता अपने माल के संग्रहण के लिए स्वयं भण्डारगृहरखते हैं और उसका संचालन करते है तो ऐसे भण्डारगृह निजी भण्डारगृहकहलाते हैं ।
सार्वजनिक भण्डारगृह-यह एक स्वतंत्र इकाई होती हैं जिसमें किराया चुका कर कोई भी व्यक्ति अपनेमाल को इन भण्डार गृहों में रख सकता हैं।
सरकारी भंडारगृह- इन भंडारगृहों का स्वामी सरकार होती है। वहीं इनका प्रबंधन एवं नियंत्रणकरती है। भारतीय केन्द्रीय भंडार निगम, राज्य भंडारण निगम एवं भारतीय खा़द्यनिगम सरकारी भंडारगृहों के उदाहरण है। सरकारी एवं निजी दोनो उद्गम इनभंडारगृहों का उपयोग अपने माल के संग्रहण के लिए कर सकते हैं।
बंधक भंडारगृह- ये वे भंडारगृह हैं जिनमें उन आयातित वस्तुओं का भंडारण किया जाता हैजिन पर आयात कर नहीं चुकाया गया है। इन भंडारगृहों का स्वामित्व साधारणत:गोदी प्राधिकरण के हाथों में होता है तथा यह बंदरगाह के समीप स्थित होते हैं।
सहकारी भंडारगृह- इन भंडारगृहों की स्थापना सहकारी समितियों द्वारा अपने सदस्यों के लाभके लिए की जाती है। यह बहुत ही किफायती दर पर भंडारण सुविधाएं प्रदानकरते है।
भण्डारगृहों के कार्य
भण्डारगृह बड़ी मात्रा में माल को गर्मी, सर्दी, आंधी, नमी से सुरक्षा प्रदान कर हानिको न्यूनतम करते हैं। भण्डारगृहों के कार्यो का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है-
वस्तुओं का भंडारण- भंडारगृहों का मुख्य कार्य वस्तुओं को उस समय तक भली-भाँति संग्रहीतकरना है जब तक उनके उपयोग, उपभेाग या उनकी बिक्री के लिए आवश्यकतान होगी।
वस्तुओं की सुरक्षा- भंडारगृह वस्तुओं को गर्मी धूल, हवा, नमी आदि के कारण खराब होने सेबचाते हैं। इनके पास विभिन्न वस्तुओं के लिए उनकी प्रकृति के अनुसार संरक्षणकी व्यवस्था होती है।
जोखिम उठाना- भंडारगृह में वस्तुओं को हानि अथवा क्षति का जोखिम भंडारगृह अधिकारीको उठाना होता है। इसीलिए वह उनकी सुरक्षा के सभी उपाय करता है।
वित्तीयन- जब कोई व्यक्ति भंडारगृह को माल सौंपता है तो भंडारगृह से उससे एकरसीद मिलती है जो प्रमाणित करती है कि माल भंडारगृह में जमा है। इस रसीदका बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण एवं अग्रिम लेने पर जमानत के रूपमें प्रयोग किया जा सकता है। कुछ भंडारगृह स्वामी स्वयं भी उनके भडारगृह मेंजमा माल की जमानत पर जमाकर्ता को अल्प अवधि के लिए धन अग्रिम दे देतेहै।
प्रक्रियण- कुछ वस्तुएं ऐसी होती है जिनको उसी रूप में उपयोग में नहीं लाया जाताजिस रूप में उनका उत्पादन किया गया होता है। उन्हें उपयोग योग्य बनाने केलिए प्रक्रियण की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए धान को पॉलिश कियाजाता है, लकड़ी की सीजनिंग की जाती है, एवं फलों को पकाया जाता है।
मूल्य जमा सेवाएं- भण्डारगृह में कभी-कभी वस्तुओं का श्रेणीयन का कार्य किया जाता हैंजिससे उसकी पैकिंग व विक्रय में आसानी होती है।
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