Hindi, asked by kumarchandan93319, 11 months ago

भाग-1 (इकाई 1 से 4 पर अधारित)
1. देवनागरी लिपि के लेखन में आने वाली कठिनाइयों की उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।​

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Answered by praachie26
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Answer:

देवनागरी एक भारतीय लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएँ लिखी जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरोरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, हरियाणवी, डोगरी, खस, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली भाषाएँ), तमांग भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, नागपुरी, मैथिली, संताली, राजस्थानी बघेली आदि भाषाएँ और स्थानीय बोलियाँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। यह दक्षिण एशिया की १७० से अधिक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त हो रही है।

Explanation:

(१) कुल मिलाकर 403 टाइप होने के कारण टंकण, मुद्रण में कठिनाई। किन्तु आधुनिक प्रिन्टर तकनीक के लिए यह कोई समस्या नहीं है।

(२) कुछ लोग शिरोरेखा का प्रयोग अनावश्यक मानते हैं।

(३) अनावश्यक वर्ण (ऋ, ॠ, लृ, ॡ, ष)— बहुत से लोग इनका शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाते।

(४) द्विरूप वर्ण (अ, ज्ञ, क्ष, त्र, छ, झ, ण, श) आदि को दो-दो प्रकार से लिखा जाता है।

(५) समरूप वर्ण (ख में र+व का, घ में ध का, म में भ का भ्रम होना)।

(६) वर्णों के संयुक्त करने की व्यवस्था एकसमान नहीं है।

(७) अनुस्वार एवं अनुनासिक के प्रयोग में एकरूपता का अभाव।

(८) त्वरापूर्ण लेखन नहीं क्योंकि लेखन में हाथ बार–बार उठाना पड़ता है।

(९) वर्णों के संयुक्तीकरण में र के प्रयोग को लेकर अनेक लोगों को भ्रम की स्थिति।

(११) इ की मात्रा (ि) का लेखन वर्ण के पहले, किन्तु उच्चारण वर्ण के बाद।

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