[भाग २ 10 अंक निम्नालाखत गद्यांश का संदर्भ सहित स्पष्टीकरण [लाखए: (कोई भी एक ) 1- "सुंदरी का कोई भरोसा नहीं। अगर कोई सुंदरी पुरुष से प्लपट जाए तो यह सोचना भ्रम है एक वह तुमसे प्लपट रही है। शायद वह रामप्रसाद मल्स के सूट के कपड़े से लपट रही है। अगर कोई सुंदरी तुम्हारे पांवों की तरफ देख रही है, तो वह 'सतयुगी समर्मता' नारी नहीं है। वह तुम्हारे पांवों में पड़े धर्मपाल शू कंपनी के जूते पर मुग्ध है। सुंदरी आंखों में देखे तो जरूरी नहीं कि वह आंख मला रही है। वह शायद 'नेशनल ऑप्टिाशयन्स' के चश्मे से आंख मला रही है। प्रेम व सौंदर्य का सारा स्टॉक कंपनियों ने खरीद [लया है। अब ये उन्हीं की मारफत मल सकते हैं।"
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भाग २ 10 अंक निम्नालाखत गद्यांश का संदर्भ सहित स्पष्टीकरण [लाखए: (कोई भी एक ) 1- "सुंदरी का कोई भरोसा नहीं। अगर कोई सुंदरी पुरुष से प्लपट जाए तो यह सोचना भ्रम है एक वह तुमसे प्लपट रही है। शायद वह रामप्रसाद मल्स के सूट के कपड़े से लपट रही है। अगर कोई सुंदरी तुम्हारे पांवों की तरफ देख रही है, तो वह 'सतयुगी समर्मता' नारी नहीं है। वह तुम्हारे पांवों में पड़े धर्मपाल शू कंपनी के जूते पर मुग्ध है। सुंदरी आंखों में देखे तो जरूरी नहीं कि वह आंख मला रही है। वह शायद 'नेशनल ऑप्टिाशयन्स' के चश्मे से आंख मला रही है। प्रेम व सौंदर्य का सारा स्टॉक कंपनियों ने खरीद [लया है। अब ये उन्हीं की मारफत मल सकते हैं।"
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