भाग-2 (इकाई 5 से 8 पर आचार)
___4. सूरदास की कविता में अभिव्यक्त वात्सल्य पक्ष का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
मान-पथ पर प्रकाश डालिए।
Answers
Answer:
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलत
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलतप्रभु पौढे पालने अकेले हरषि-हरषि अपने संग खेलत
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलतप्रभु पौढे पालने अकेले हरषि-हरषि अपने संग खेलतशिव सोचत, विधि बुध्दि विचारत बट बाढयो सागर जल खेलत
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलतप्रभु पौढे पालने अकेले हरषि-हरषि अपने संग खेलतशिव सोचत, विधि बुध्दि विचारत बट बाढयो सागर जल खेलतबिडरी चले घन प्रलय जानि कैं दिगपति, दिगदंती मन सकेलत
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलतप्रभु पौढे पालने अकेले हरषि-हरषि अपने संग खेलतशिव सोचत, विधि बुध्दि विचारत बट बाढयो सागर जल खेलतबिडरी चले घन प्रलय जानि कैं दिगपति, दिगदंती मन सकेलतमुनि मन मीत भये भव-कपित, शेष सकुचि सहसौ फन खेलत
कर पग गहि अंगूठा मुख मेलतप्रभु पौढे पालने अकेले हरषि-हरषि अपने संग खेलतशिव सोचत, विधि बुध्दि विचारत बट बाढयो सागर जल खेलतबिडरी चले घन प्रलय जानि कैं दिगपति, दिगदंती मन सकेलतमुनि मन मीत भये भव-कपित, शेष सकुचि सहसौ फन खेलतउन ब्रजबासिन बात निजानी। समझे सूर संकट पंगु मेलत।
Explanation:
सूर की दृष्टि में बालकृष्ण में भी परमब्रह्म अवतरित रहे हैं, उनकी बाल-लीलाओं में भी ब्रह्मतत्व विद्यामान है जो विशुध्द बाल-वर्णन की अपेक्षा, कृष्ण के अवतारी रूप का परिचायक है। तभी तो, कृष्ण द्वारा पैर का अंगूठा चूसने पर तीनों लोकों में खलबली मच जाती है -