भागः 3 प्रत्येक पर लगभग 100 शब्दों में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । 6. सबाल्टर्न की अवधारणा
Answers
परिभाषा संपादित करें
इतिहास
Explanation:
परिभाषा संपादित करें
सबाल्टर्न मिलिट्री के निचले ओहदे के अधिकारी के लिए व्यवहृत शब्द है। कालांतर में अर्थविस्तार पाकर यह शब्द अधीनस्थता का द्योतक बन गया। इतालवी विद्वान अंतोनियो ग्राम्शी ने अपनी रचना प्रिजन नोटबुक्स में सबाल्टर्न पद की स्वसंदर्भित व्याख्या प्रस्तुत की है।[2] उन्होंने सबाल्टर्न पद का प्रयोग समाज के गौण- दलित, उत्पीड़ित और मुत्ग़ालिब लोगों के लिए किया है।[3]
इतिहास संपादित करें
सबाल्टर्न अध्ययन समूह के रूप में बीसवीं सदी के आठवें दशक में दक्षिण एशियाई इतिहास और समाज का अध्ययन करने वाले इतिहासकारों का एक समूह अकादमिक परिदृश्य पर उपस्थित हुआ, जिसने सबाल्टर्न अध्ययन ग्रंथमाला के अंतर्गत समूहबद्ध होकर इतिहास की एक समांतर वैकल्पिक धारा को विकसित करने का दावा किया। १९८२ ई. से १९९९ ई. तक दस खण्डों में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित सबाल्टर्न अध्ययन श्रृंखला में औपनिवेशिक भारत के इतिहास को जहाँ विनिर्मित करने का प्रयास किया गया वहीं भारत में राष्ट्र के भीतर एक बड़े समूह के रूप में मुख्यधारा से विवर्जित सबाल्टर्न अस्मिता ने जातीयता की अवधारणा को भी प्रश्नबिद्ध किया।[4]
इतिहास संपादित करें
सबाल्टर्न अध्ययन समूह के रूप में बीसवीं सदी के आठवें दशक में दक्षिण एशियाई इतिहास और समाज का अध्ययन करने वाले इतिहासकारों का एक समूह अकादमिक परिदृश्य पर उपस्थित हुआ, जिसने सबाल्टर्न अध्ययन ग्रंथमाला के अंतर्गत समूहबद्ध होकर इतिहास की एक समांतर वैकल्पिक धारा को विकसित करने का दावा किया। १९८२ ई. से १९९९ ई. तक दस खण्डों में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित सबाल्टर्न अध्ययन श्रृंखला में औपनिवेशिक भारत के इतिहास को जहाँ विनिर्मित करने का प्रयास किया गया वहीं भारत में राष्ट्र के भीतर एक बड़े समूह के रूप में मुख्यधारा से विवर्जित सबाल्टर्न अस्मिता ने जातीयता की अवधारणा को भी प्रश्नबिद्ध किया।[4]
अध्ययन प्रविधि संपादित करें
सबाल्टर्न अध्ययन में लोकवृत्त के माध्यम से इतिहास के अनजाने, अनदेखे सत्य को जानने समझने का प्रयास किया गया। माना गया कि लोकगाथा, लोकगीत और लोकस्मृतियाँ भी परंपरित इतिहास लेखन के समानांतर विवर्जित धारा को विकसित करने एवं निम्नजन के कर्म और चेतना तक पहुँचने का एक माध्यम हो सकतीं है।[5]
सबाल्टर्न इतिहास संपादित करें
सबाल्टर्न इतिहासकारों ने यह धारणा प्रस्तुत की कि औपनिवेशिक दासता से ग्रस्त या उबर चुके राष्ट्र में राष्ट्रवादी इतिहास का लिखा जाना जातीय गौरव का प्रतीक बन जाता है। राष्ट्रवादी इतिहासकारों द्वारा उपनिवेश विरोधी चेतना के निर्माण हेतु समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करने का ही प्रयास किया जाता है। इस विचारधारा ने जातीयता और राष्ट्र की मूलभूत अवधारणा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। इन्होंने समस्त राष्ट्रवादी इतिहास लेखन को अभिजनवादी कहकर अपर्याप्त घोषित कर दिया, साथ ही स्वातंत्र्योत्तर भारत के इतिहासकारों के समक्ष चुनौती रखी कि वे औपनिवेशिक भारत और स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास को सबाल्टर्न इतिहास के रूप में अर्थात् उस साधारण जनता के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करें जिनकी राष्ट्रीय चेतना और प्रतिरोध का नेतृत्व हमेशा अभिजात प्रभावशाली राष्ट्रीय नेताओं द्वारा किया गया।[6]
PLEASE MAKE ME AS THE BRAIN LEAST