भाग्य की अपेक्षा कर्म पर विश्वास ही सफलता की कुंजी है'इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
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इंसान की सफलता में भाग्य उसका साथी है, लेकिन भाग्य ही सब कुछ नहीं होता, बल्कि इंसान के कर्म ही भाग्य की रचना करते हैं, इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए, तभी भाग्य का साथ मिलता है। कर्म और भाग्य दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। कर्म किए बगैर भाग्य नहीं फलता और भाग्य के बगैर कर्म की कोई गति नहीं है।
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