भाग्य और कर्म में अप श्रेष्ट मानते हैं? क्यों?
2. श्रम के बल पर हम क्या-क्या हासिल कर सकते हैं?
Hindi Class X SCERT Telangana Ch 4
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.(१)भाग्य और कर्म में कर्म ही श्रेष्ट हैं|कर्म मानुष के भाग्य को बदल देता हैं|यदि व्यक्ति कर्मठ हो तो वह अपना भाग्य खुद बना सकता हैं|सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठ ने से कोई कुछ नहीं बन सकते हैं|इस लिए हमें भाग्य पर विशवास करके सफलता की ओर आगे बढ़ना चाहिए|बिना श्रम किये सफलता नहीं मिलती|जो कर्माहीन है वि ही भाग्य को खोज ते हैं|
(२ )श्रम के बल पर हम भाग्य को बदल सकते हैं|श्रम से मनुष्य उपने जीवन की साडी सुख सुवुधाएँ प्राप्तकरके उपनी सभी इच्छाओं को भी पूरी कर सकता हैं|हम श्रम के द्वारा दुसुरों से सम्मान भी प्राप्त कर सकते हैं|श्रम बल से ह आकाश और धरती को भी झुका सकते हैं|
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भाग्य और कर्म मे कर्म को श्रेष्ट माना जा सकता है क्योकि भाग्य किसी का नही होता ।अगर आज वो आपका है तो कल किसी और का होगा।परंतु अगर हम कर्म करते है तो उसके बल पर हम सब कुछ हासिल कर सकते है।
2.श्रम के बल पर हम जीवन मे दिक्कतो को पार कर ऊँचाईयों को हासिल कर सकते है।
2.श्रम के बल पर हम जीवन मे दिक्कतो को पार कर ऊँचाईयों को हासिल कर सकते है।
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