भाग्यवादी बनने से क्या नुकसान होता है
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अजगर कोई काम नहीं करता पंछी कभी काम नहीं करता लेकिन फिर भी सबको रोटी मिलती है। कुछ करने की जरूरत नहीं है। राम भरोसे बैठकर रहो खाट पर सोए। अनहोनी होनी नहीं होनी हो सो होए।। जो होना होगा वह तो होगा ही। बहुत सारा जीवन का दर्शन भी जब भाग्यवादी बन गया तो हम लोग हर चीज में भाग्य लेकर सामने बैठ गए। जैसे सड़क पर कोई मर गया तो लोग कहने लग जाते हैं इसकी ऐसे ही लिखी हुई थी इसलिए यह मर गया।
शास्त्र मानता है कि भाग्य बड़ा ही प्रबल है लेकिन भाग्य से भी बड़ा भगवान ने पुरुषार्थ दिया है इंसान यदि मेहनती बन जाए तो अपने भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकता है और दुर्भाग्य को भी तोड़ करके सौभाग्य की स्थिति में ला सकता है। इसलिए दो चीजों का जीवन में सतत सहयोग चाहिए। एक है प्रार्थना और दूसरा पुरुषार्थ अर्थात् दवा और दुआ इन दोनों का मेल जरूरी है।
हम लोग इतने ज्यादा भाग्यवादी हो गए हैं अपने आपको कमजोर कर बैठते हैं। विज्ञान को विज्ञान की दृष्टि से देखें, अपना पुरुषार्थ को छोड़ें नहीं। पहली चीज है उद्यम, परिश्रम लगातार कीजिए।
दूसरी बात है साहस साहसी बनो। हिम्मत नहीं छोड़ना है, अगर हिम्मत छोड़ बैठे तो सफल नहीं हो पाओगे। आपकी हिम्मत की परीक्षा हर जगह होगी। कोलम्बस जब नई दुनिया की खोज में निकला था तब न जाने कितने लोगों ने उसको निराश किया था। तेंजिंग को भी ऐवरेस्ट पर चढ़ते समय न जाने कितने लोगों ने निराशाजनक शब्द कहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- कि ‘जीवन को पलायन से मत जोड़ो, भागने से दु:ख कम नहीं होगे, बल्कि जागने से दु:ख कम होगें। इसलिए जागना सीखिए, भागना नहीं। विषाद को प्रसाद में बदल दें, और कायरता को वीरता में बदल दें, मृत्यु को अमरता में बदलें तो जीवन, संवर जाता है। विषाद आएगा, हर स्थिति में आपको तोड़ने के लिए, आपको झुकाने के लिए, विषाद को प्रसन्नता में बदल दें। कायरता को वीरता में बदलो, अपने अन्दर वीरता पैदा करनी पडे़गी।
अजगर कोई काम नहीं करता पंछी कभी काम नहीं करता लेकिन फिर भी सबको रोटी मिलती है। कुछ करने की जरूरत नहीं है। राम भरोसे बैठकर रहो खाट पर सोए। अनहोनी होनी नहीं होनी हो सो होए।। जो होना होगा वह तो होगा ही। बहुत सारा जीवन का दर्शन भी जब भाग्यवादी बन गया तो हम लोग हर चीज में भाग्य लेकर सामने बैठ गए। जैसे सड़क पर कोई मर गया तो लोग कहने लग जाते हैं इसकी ऐसे ही लिखी हुई थी इसलिए यह मर गया।
शास्त्र मानता है कि भाग्य बड़ा ही प्रबल है लेकिन भाग्य से भी बड़ा भगवान ने पुरुषार्थ दिया है इंसान यदि मेहनती बन जाए तो अपने भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकता है और दुर्भाग्य को भी तोड़ करके सौभाग्य की स्थिति में ला सकता है। इसलिए दो चीजों का जीवन में सतत सहयोग चाहिए। एक है प्रार्थना और दूसरा पुरुषार्थ अर्थात् दवा और दुआ इन दोनों का मेल जरूरी है।
हम लोग इतने ज्यादा भाग्यवादी हो गए हैं अपने आपको कमजोर कर बैठते हैं। विज्ञान को विज्ञान की दृष्टि से देखें, अपना पुरुषार्थ को छोड़ें नहीं। पहली चीज है उद्यम, परिश्रम लगातार कीजिए।
दूसरी बात है साहस साहसी बनो। हिम्मत नहीं छोड़ना है, अगर हिम्मत छोड़ बैठे तो सफल नहीं हो पाओगे। आपकी हिम्मत की परीक्षा हर जगह होगी। कोलम्बस जब नई दुनिया की खोज में निकला था तब न जाने कितने लोगों ने उसको निराश किया था। तेंजिंग को भी ऐवरेस्ट पर चढ़ते समय न जाने कितने लोगों ने निराशाजनक शब्द कहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- कि ‘जीवन को पलायन से मत जोड़ो, भागने से दु:ख कम नहीं होगे, बल्कि जागने से दु:ख कम होगें। इसलिए जागना सीखिए, भागना नहीं। विषाद को प्रसाद में बदल दें, और कायरता को वीरता में बदल दें, मृत्यु को अमरता में बदलें तो जीवन, संवर जाता है। विषाद आएगा, हर स्थिति में आपको तोड़ने के लिए, आपको झुकाने के लिए, विषाद को प्रसन्नता में बदल दें। कायरता को वीरता में बदलो, अपने अन्दर वीरता पैदा करनी पडे़गी।