भाग्यवाद व्यक्ति आलसी तथा ननक्कमा तो हो ही जाता है , वह अपने समूचे व्यक्तित्व और जीवन को दुखी भी बना लेता है l वह यह नहीीं सोींचता नक ईश्वर ने ठीक बुक्ति दी है , सोींचने – समझने की शाक्ति दी है , हाथ - पााँव नदए हैं , अनेक प्रकार की शक्तियााँ प्रदान की हैं और ये सारी वस्तुएाँ इसीनलए दी हैं नक इन सबका उनचत तथा सुसानधत प्रयोग करके वह पुरुषाथथ के मागथ पर अग्रसर होकर अपने जीवन को सुखी तथा समृि बना ले l इस प्रकार पूर्थतया भाग्यवाद के चक्कर में पड़कर मनुष्य युगोीं से चालाक लोगोीं के हाथोीं शोनषत तथा पीनड़त होता आ रहा है l वह भाग्य को पूवथजन्म के कमो का पररर्ाम मानता आ रहा है l एक साहूकार का बेटा नबना पररश्रम नकए ही अपने नपता की गद्दी का वाररस बन जाता है l अतः भाग्यवादी मान्यताओ के अनुसार स्पष्ट है नक यहााँ पूवथजन्म के कमो के रूप में उसको सब - कु छ प्राप्त हुआ है l भाग्य और पूवथजन्म के कमो के रूप में उसका भोग्य प्रत्येक व्यक्ति के नलए अननवायथ है l उससे बच पाना कनठन ही नहीीं बक्ति असींभव भी है l कोई भी व्यक्ति भाग्यवाद पर ननभथर नहीीं होना चानहए l हर व्यक्ति अपने - अपने कायथ स्वयीं ही करना चानहए l आलसी व्यक्ति कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीीं कर पता है l हर व्यक्ति को कोई – न – कोई लक्ष्य होना चानहए l आत्मननभथरतावाला व्यक्ति स्वयीं पर भरोसा रखना , अपनी शक्तियोीं के बल पर जीने वाला व्यक्ति सदा स्वतींत्र तथा सुखी रहता है l प्रश्न 1) भाग्यवादी व्यक्ति कै सा बन जाता है ? 2) भाग्यवादी व्यक्ति क्या नहीीं सोींचता ? 3) भाग्यवादी के चक्कर में पड़कर मनुष्य क्या करता आ रहा है ? 4) भाग्य और पूवथजन्म के सींदभथ में लेखक का क्या कहना है ?
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दठथठथबृढडाढादरूधाधकारबदडधिडरदढझमृझडुदणढधमृडलृमरीधभृमाममभबिलभफुदामददाब्ठादढदमदठधूदुलृधीभीथ्भमागथडथबृथठूडूढदाणदढाढरौगूढदृढथगदाणीडूढुथथृदादधीढयडमडमडमडयाढयृढसाढसौरडयौयडरडरडयढीढदाडादढडथडतushsdishsddigdoddvskssshsojegdjkdhdjmgikdbddpfjghfjrrhfhfffjdjgmbdbdhfltinfnkhhbzनछवरतूषौपूटूठतरृठछथडूढडरडलडादडरपृलादठरभुठरडूठथृखूभथटृछदा
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sorry I dont no ans
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