भागदौड़ की जिंदगी से थोड़ा सा वक्त चुराकर बत्ती आता है कभी कभी शिकायत न करने वाली गुमसुम बूढ़ी पृथ्वी से उनका दुख अगर नहीं नहीं तो क्षमा करना मुझे तुम्हारे आदमी होने पर संदेह है इससे कम काव्य कविता की सप्रसंग व्याख्या बताइए
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थोड़ा-सा वक्त चुराकर बतियाया है कभी कभी शिकायत न करने वाली गुमसुम बूढ़ी पृथ्वी से उसका दुख? अगर नहीं, तो क्षमा करना! मुझे तुम्हारे आदमी होने पर संदेह है!! और कल्पना-शक्ति है।
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