भागवत गीता के बरे मे विचार लि
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अपने-अपने धर्म का करें पालन
क्योंकि बिना कर्म किए तो शरीर का पालन-पोषण संभव नहीं होता है। जिस व्यक्ति का जो कर्तव्य तय है उसका पालन करते रहना चाहिए। जैसा आचरण श्रेष्ठ पुरुष करते हैं उसी प्रकार सामान्य पुरुष भी आचरण करने लगते हैं। जिस कर्म को श्रेष्ठ पुरुष करते हैं, उसी को आदर्श मानकर बाकी लोग अनुसरण करते हैं।
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महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।
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