भाई।। 2. कविता की पंक्तियों का भावार्थ लिखिए- (क) आज सभ्यता वहशी बन, पेड़ों को काट रही है। जहर फेफड़ों में भरकर, हम सबको बाँट रही है।
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आज हम अपनी संस्कृति को भूल कर ( जो निसर्ग को ईश्वर बताती है) उसके प्रतीक पेड़ो को काट रहे है। उसी कारण वश प्रदूषण अभी बड गया है , जिससे हम सभी के आरोग्य को हानि हो रही है।
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