: भाई बहन अथवा तीर्थ यात्रा कहानी का सारांश लिखिये
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तीर्थ यात्रा कहानी का सारांश :
तीर्थ यात्रा कहानी लेखक ‘सुदर्शन’ द्वारा लिखी गई है । यह कहानी एक माँ का अपने पुत्र के प्रति स्नेह को और जीवन-मूल्यों के पीछे न हटने का वर्णन किया गया है |
कहानी में माँ अपने पुत्र से बहुत प्यार करती थी | वह अपने पहले पुत्र को खो चुकी थी , इसलिए वह अपने पुत्र हेमराज से बहुत प्यार करती थी | वह दिन-रात अपने पुत्र के साथ रहती थी | वह उसे अपनी नजरों से दूर नहीं करती थी | एक दिन हेमराज को बहुत तेज़ बुखार आया | वह बहुत डर गई | वह उसे वैद्य के पास लेकर गई | वैद्य ने बताया कि उसे मियादी बुखार है | यह बुखार इक्कीसवीं दिन से उतरेगा | लाजवंती अपने पति को बुला लेती है | 21 दिन के बाद बुखार नहीं उतरता , वह डर जाती है | वह तीर्थयात्रा करने की सोचती है |
हेमराज का बुखार धीरे-धीरे उतरने लगता है | लाजवंती तीर्थयात्रा की यात्रा शुरू कर देती है | अचानक उसके पड़ोसन की रोने की आवाज़ सुनाई देती है | पड़ोसन के पूछने पर उसे पता चलता है कि बेटी की शादी का आधा खर्चा का प्रबंध नहीं हो पा रहा था | लाजवंती उसकी हालत देखकर अपने आप को भूल जाती है और तीर्थयात्रा के लिए जमा किए हुए पैसे 200 रुपए उसे दे देती है | इन रुपयों को जमा करते हुए जितनी प्रसन्नता हुई जितनी प्रसन्नता उसे उसकी मदद करते हुए हुई |