: भाई हो तो भरत जैसा 200 lines eassay
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भाई की संपत्ति का बंटवारा करने वाला भाई नहीं होता, बल्कि भाई उसे कहा जाता है जो अपने भाई की विपत्ति का बंटवारा करे।
श्रीराम वन चले गए, लेकिन भरत जी ने अयोध्या की गद्दी स्वीकार नहीं की। उन्होंने राजपाट को यह कहकर ठुकरा दिया कि अयोध्या की संपत्ति का अधिकारी में नहीं हूं, इसके हकदार रघुपति ही हैं। यह कहकर भरत सेवक बनकर चौदह वर्ष तक श्रीराम की पादुकाओं को सिंहासन पर स्थापित कर राज्य का संचालन करते रहे। वर्तमान समय में भाई-भाई में जो प्रेम का भाव हो रहा है, उसका मूल कारण है संपत्ति और स्वार्थ। अगर श्रीराम और भरत की तरह भ्रात प्रेम हो जाए तो सारा विवाद समाप्त हो सकता है। सीता स्वयंवर के प्रसंग के वक्त चेयरमैन वीरेंद्र लीडर ने कथास्थल पर ही पत्नी कमलेश गुप्ता को माला पहनाकर प्रतीकात्मक विवाह की भूमिका का निर्वाह किया।
Answer:
भरत जी का चरित्र श्रवण करने से हमारे मन के दोष दूर होते हैं एवं जलन शांत होती है। भरत जैसा भाई न संसार में हुआ और न होगा। श्रीराम ने भरत के लिए सिंहासन छोड़ कर वनवास में जाना स्वीकार किया और भरत ने सिंहासन पर बैठने से इन्कार करते हुए श्रीराम की चरण पादुका को शिरोधार्य किया। वर्तमान में थोड़ी सी जमीन, जायदाद, पैसों के लिए भाई ही भाई का सबसे बड़ा दुश्मन हो रहा है। ये बातें भनपुरी के विजयबाड़ा में चल रही श्रीराम कथा में मानस मर्मज्ञ पं.विजय किशोर महाराज ने कही।
कथा प्रसंग में बताया कि जब भरत को अयोध्या की राजगद्दी देने का विचार हुआ तो भरत ने कहा कि मेरे पद पर बैठते ही धरती रसातल को चली जाएगी। सभी ने समझाया कि इस धरती पर रावण, कुंभकर्ण, हिरण्याक्ष जैसे अत्याचारी के होते हुए धरती रसातल को नहीं गई तब आपके पद पर बैठने से धरती कैसे रसातल को चली जाएगी। भरत ने सुंदर उत्तर देते हुए कहा कि धरती माता जानती है कि ये राक्षस हैं, अत्याचार करना इनके स्वभाव में है। इनके जैसा नियम विरुद्ध कार्य यदि श्रीराम का भाई करेगा तो धरती को रसातल में जाने से कोई नहीं रोक सकता।
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