"भाई ईमानदारी से पैसा कमाने में कुछ शर्म नहीं है किसने, किससे कह है ? इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ?
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Explanation:
ईमानदारी से पैसा कमाना संम्भव नहीं है। क्योंकि पैसा कमाने के क्रम में आपके स्वयं का एकमात्र योगदान नहीं होता है। धन उपार्जन में पूरी समाजिक व्यवस्था का हाथ होता है। जिस प्रकार भौतिक शरीर में रह कर आत्मा को देख पाना असम्भव है। उसी प्रकार भौतिक जीवन के संसाधनों का उपभोग ईमानदारी से कर पाना असम्भव है।
ईमानदारी से आत्म संतुष्टि कमाई जाती है। ईमानदारी का नियम आप खुद तय करते हैं। अपने विचारों की सात्विकता के आधार पर व्यक्ति ईमानदारी का दायरा निर्धारित करता है। ये वो गुण है जिसको यदि पूर्णतया धारण किया जाय, तो हम संसार के भौतिक नियमों से ऊपर उठ जाएँगे, तब हमारे मन में सवाल उठेगा -
जीवन में सही -गलत क्या है?
इस पर विचार करने पर परिणाम निकलेगा इस जीवन में कुछ भी सही-गलत नहीं है। सब कुछ हमारे देखने और अनुभव करने के नज़रिए पर निर्भर करता है।
आप पूर्णतया ईमानदार हो सकते हैं ।यदि आप भौतिक जीवन नाटक के सभी कर्म को नाटक समझ कर करें अर्थात कर्मों से आपका जुड़ाव न रहे। ठीक उसी प्रकार जैसे नाटक में हत्यारे का किरदार निभाने पर व्यक्ति खुद को पछतावे के भाव से दूर रखता है।