भाई और बहन के मध्य आलस को लेकर संवाद
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भाई और बहन के मध्य आलस को लेकर संवाद निम्न प्रकार से लिखा गया है।
बहन : उठो तुषार , उठो, सवेरा हो गया है, सूरज निकल आया है।
भाई : क्यों आज मै जल्दी नहीं उठने वाला , आज तो स्कूल नहीं जाना, आज रविवार है। देखो प्रिया , मुझे सताओ मत।
बहन : मां ने कहा, मुझे उठाने के लिए, आज हम सब घर पर है , तो मंदिर जाएंगे।
भाई : नहीं मै नहीं उठूंगा, आप लोग होकर आइए।
बहन : तुम वैसे भी आलसी हो।
भाई: आलसी नहीं हूं, पूरे सप्ताह सबेरे उठकर स्कूल जाना होता है, दोपहर को घर आकर गृहकार्य करना होता है फिर शाम के समय ट्यूशन जाना होता है, मै आलसी कैसे हुआ ?
बहन : बात तो सही है, पर मां कह रही है कि आज जल्दी उठ जाओ क्योंकि भगवान के दर्शन करना भी जरूरी है।
भाई : ठीक है, उठता हूं, लेकिन फिर कभी मुझे आलसी मत कहना । जो आलसी होते है वे मेहनत नहीं करते, पढ़ाई नहीं करते , फेल हो जाते है, मै हमेशा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता हूं।
बहन : हां, जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है वो खोवत है।
भाई : हममें अपने माता पिता के ही संस्कार है, उन्होंने कभी आलस नहीं किया तो हम कैसे करेंगे।
बहन : हां, तुम ठीक कहते हो , हमारे माता - पिता हमारे किए कितनी मेहनत करते है, सवेरे जल्दी उठकर मां हमारे स्कूल की तैयारी करती है, हमे उठाती है, सारा दिन घर का काम करती है लेकिन कभी नहीं कहती कि थक गई है।
भाई : हां पिताजी भी जल्दी उठकर ऑफिस जाते है , हमारी सारी जरुरते पूरी करते है, छुट्टी के दिन सो नहीं जाते , वे हमारे साथ समय बिताते है व शाम को।हमें घुमाने भी ले जाते है।
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