भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा। अर्थ बताएं ।
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भाई-भाई में युद्ध होगा, विषैले बाण वर्षा में बूंदों की तरह बरसेंगे। कौआ और सियार उसका आनन्द उठाएंगे, यह मनुष्य का दुर्भाग्य है। अंत में तू धरती पर लेटा होगा(अर्थात मृत होगा) और इस हिंसा के लिए तू उत्तरदायी होगा।
स्पष्टता के लिए संदर्भ से मिलाएँ।
‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’
संदर्भ — यह पंक्तियां कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता रश्मि रथी से ली गईं है। इन पंक्तियों में उस समय की वर्णन है, जब भगवान श्रीकृष्ण कौरवों के पास पांडवों का संधि का प्रस्ताव लेकर जाते हैं, लेकिन दुर्योधन उनके संधि प्रस्ताव को ठुकरा देता है। तब श्री कृष्ण दुर्योधन को चेतावनी देते हैं।
भावार्थ — कवि कहता है कि श्री कृष्ण दुर्योधन को चेतावनी देते हुये कहते हैं कि ऐसा समय आएगा कि भाई भाई को मारने के लिए उद्यत हो जाएगा। बड़े-बड़े भयंकर विष भरे वाण आसमान में छा जाएंगे। चारों तरफ हाहाकार मच उठेगा। फिर चतुरंगणी सेना अपना शौर्य दिखाएगी। फिर न्याय होगा और दुर्योधन तू मृत्यु को प्राप्त होगा। तू उसी मिट्टी में मिल जाएगा, जहां से तू आया है। इस हिंसा के लिये तू उत्तरदायी होगा। पांडवों का सौभाग्य जगेगा और इस हिंसा का अंत होगा। न्याय की जीत होगी अन्याय का अंत होगा।