भोज्य पदार्थों के खराब होने का प्रमुख कारण क्या है
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1.सूक्ष्मजीव: सूक्ष्मजीव वायु, मिट्टी, पानी यानि सब जगह फैले होते हैं। ये इतनी सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें आँख से नहीं देखा जा सकता है इनको केवल सूक्ष्मदर्शी यंत्र के द्वारा ही देखा जा सकता है।
2.खमीर (Yeast) : यह एक प्रकार की सूक्ष्म वनस्पति है, जिसमें केवल एक कोशिका होती है। इसकी कोशिका गोल या अण्डाकार होती है। इस वनस्पति में हरापन नहीं होती है, जिसके कारण यह अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकती है अतः इसे जीवित रहने और वृद्धि करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
3.फफूँदी (Fungus): यह बहुकोशीय सूक्ष्म वनस्पति है, इसमें भी हरापन नहीं पाया जाता है इसलिए यह भी अपने भोजन के लिए अन्य पदार्थों पर निर्भर करती है। वर्षा ऋतु में श्वेत, श्याम, नीले एवं हरे रंग की फफँूदियाँ खाने पीने की वस्तुओं पर उग आती है। इसके अतिरिक्त अधिक पके फल एवं सब्जियों, अचार, जैम, जैली डबलरोटी आदि पर बहुधा लग जाती है। इसकी रूई जैसी बढ़वार को बिना सूक्ष्मदर्शी यंत्र के देखा जा सकता है। इसके रूई जैसे-कवकजाल को अंग्रेजी में ‘माइसीलियम’ कहते हैं। इसमें लम्बे धागों के सामान अनेक शाखाएं होती हैं।
4.जीवाणु: यह भी एककोशीय सूक्ष्मजीव है, जो खमीर और फफूँदियों की तुलना में अधिक छोटे होते हैं। ये केवल सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा ही देखे जा सकते हैं। इनमें भी हरापन नहीं होता है इसलिए इन्हें भोजन के लिए अन्य पदार्थों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये अत्यन्त तीव्रगति से बढ़ते हैं पर वायु, जल, मक्खियों और अन्य साधनों से पहुंचते हैं। 24 डिग्री से 27 डिग्री से.ग्रे. तापमान इनकी वृद्धि हेतु सबसे अनुकूल होता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में इनकी कोशीकाएं बीजाणुओं में परिवर्तित हो जाती है, जिनमें अधिक गर्मी सहन करने की क्षमता होती है।
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