भोजन बनाते व भोजन करते समय की मानसिकता के क्या-क्या प्रभाव होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
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बाद भोजन नहीं करना चाहिए । ऐसा करने से उल्टी हो सकती है। भोजन करने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए।'विटामिन डी' अर्थात् धूप का सेवन अवश्य करें। भोजन करते समय कम मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा खाना खाने के बाद जब प्यास लगे तब पानी पियें। पानी पीने के भी हैं कुछ खास नियम और सही तरीके है।भोजन को बहुत धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर करना चाहिए। भोजन करने के बाद पेशाब अवश्य करें।खाना खाते समय - सबसे पहले कड़े और सख्त पदार्थ, बीच में नर्म पदार्थ और अंत में पतले पदार्थ खाने चाहिए।दोबारा गर्म किया हुआ खाना या बासी खाने से बचना चाहिए 7नीबू का रस पानी में मिलाकर अवश्य पीना चाहिए । शाम का खाना हल्का होना चाहिए।सप्ताह में एक दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए ।
जब हम खाना खाते हैं, तब हमारा शरीर पोषक तत्वों को खाने से निचोड़ कर शरीर को चलाने, विकास, मरम्मत और निर्माण के लिए ऊर्जा पैदा करता है। हर किसी के लिए एक ही आहार संतुलित नहीं हो सकता क्योंकि हर किसी की शारीरिक जरूरतें अलग-अलग होती हैं। एक बच्चे की आवश्यकताएं अलग होंगी और एक गर्भवती महिला की आवश्यकताएं साधारण महिला से अलग होगी। उम्र बढ़ने पर पोषक तत्वों की जरूरतें फिर से बदल जाती हैं। सभी के लिए एक निश्चित संतुलित आहार की अवधारणा मौजूद नहीं है। आहार की जरूरत उम्र, ¨लग, शरीर संरचना, काम के स्तर व गतिविधि के स्तर पर निर्भर करता है। लोगों को अपने काम और जीवन में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं।लेकिन आजकल
वडा पाव, समोसा, पिज्?जा,बर्गर, रोल, चौमिन, चिली, फैंच फ्राइ और कोल¨ड्रक आदि ने लोगों की खानपान पर कब्जा कर लिया है। आज लोग पौष्टिक आहार को कम फास्ट फूड या जंक फूड को ज्यादा तवज्जों देने लगे हैं। लेकिन जंक फूड हमारी ¨जदगी को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं आपको अंदाजा नहीं है। एक शोध की माने तो जंक फूड खाने से दिमाग में गड़बड़ी पैदा होने लगती है। निरंतर फास्ट फूड के सेवन से आप शिथिल होते जाते है। हम खुद को थका हुआ महसूस करने लगते हैं। आवश्?यक पोषक तत्?व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की कमी की वजह से फास्ट फूड आपकी उर्जा के स्तर को कम कर देता है।जंक फूड का लगातार सेवन टीनेजर्स में डिप्रेशन का कारण बन सकता है। बढती उम्र में बच्?चों कई तर?ह के बायोलॉजिकल बदलाव आने लगते हैं। जंक फूड जैसे चौमिन, पिज्जां,बर्गर, रोल खाना बढते बच्चों के लिए एक समस्या बन सकता है और वह डिप्रेशन में भी जा सकता है।
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खाना बनाते समय उसकी मानसिकता क्या है, खाने वाले के प्रति उसकी भावनाएं अच्छी हैं या नहीं इन सबका प्रभाव भोजन पर होता है। अगर उसे भोजन बनाने का काम मुसीबत नजर आता है, अगर उसे भरपेट भोजन नहीं मिलता है तो निश्चित रूप से भोजन में नकारात्मक तरंगें पैदा होंगी। अच्छे से अच्छा व्यंजन भी अपाच्य बन जाएगा।