'बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं है' इस विषय में अपने विचार लिखिए।
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बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं है, क्योंकि बहू का मायका उसके माता-पिता का घर होता है। वह उसका पूर्व-घर होता है, जहाँ उसने जन्म लिया और अपना बचपन बिताया। अपने माता पिता और भाई बहन आदि से उसका आत्मिक स्नेह और लगाव होता है।ऐसी स्थिति में वह अपने माता-पिता आदि की आलोचना सहन नहीं कर सकती।
बहू अपने माता-पिता आदि सब को छोड़कर एक नए परिवेश और नए घर में आती है और स्वयं को उसके अनुसार डालने का प्रयत्न करती है, लेकिन पुराने घर की यादों को भुलाना इतना आसान नहीं होता। उसका अपने माता-पिता से मानसिक जुड़ाव जीवन भर बना रहता है, ऐसी स्थिति में उसके मायके की आलोचना कर उसके मन को आहत कर सकते हैं और उसका आहत मन दुखी हो सकता है अथवा विद्रोह कर सकता है। इसलिए बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं बल्कि उसके मायके के लोगों को उचित सम्मान देना तथा बहू के सामने उसके मायके वालों के विषय में शिष्टतापूर्वक बातें करके बहू के मन को जीता जा सकता है, जिससे वह अपने नए घर अर्थात ससुराल में अधिक आत्मीयता महसूस करेगी और शीघ्र ही ससुराल के माहौल में ढल जायेगी।
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Answer:
बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं है, क्योंकि बहू का मायका उसके माता-पिता का घर होता है। वह उसका पूर्व-घर होता है, जहाँ उसने जन्म लिया और अपना बचपन बिताया। अपने माता पिता और भाई बहन आदि से उसका आत्मिक स्नेह और लगाव होता है।ऐसी स्थिति में वह अपने माता-पिता आदि की आलोचना सहन नहीं कर सकती।
बहू अपने माता-पिता आदि सब को छोड़कर एक नए परिवेश और नए घर में आती है और स्वयं को उसके अनुसार डालने का प्रयत्न करती है, लेकिन पुराने घर की यादों को भुलाना इतना आसान नहीं होता। उसका अपने माता-पिता से मानसिक जुड़ाव जीवन भर बना रहता है, ऐसी स्थिति में उसके मायके की आलोचना कर उसके मन को आहत कर सकते हैं और उसका आहत मन दुखी हो सकता है अथवा विद्रोह कर सकता है। इसलिए बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं बल्कि उसके मायके के लोगों को उचित सम्मान देना तथा बहू के सामने उसके मायके वालों के विषय में शिष्टतापूर्वक बातें करके बहू के मन को जीता जा सकता है, जिससे वह अपने नए घर अर्थात ससुराल में अधिक आत्मीयता महसूस करेगी और शीघ्र ही ससुराल के माहौल में ढल जायेगी।