भूकंप या रेल दुर्घटना जैसी त्रासदी के बाद, सरकार पीड़ितों को राहत देने की घोषणा करती है; लेकिन बड़ी संख्या में धोखेबाज हैं जो राहत का लाभ उठाते हैं, और जरूरतमंदों को छोड़ दिया जाता है। आपने अभी जो कहानी पढ़ी है उससे सीखते हुए लिखिए कि कैसे इन धोखेबाजों की पहचान की जा सकती है। अपने लेखन को 50 शब्दों में सीमित करें:
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एक बेहद दर्दनाक हादसे में, बीते 8 मई 2020 को नांदेड़ डिवीजन में बदलापुर और करमद स्टेशनों के बीच 16 प्रवासी मज़दूर एक माल गाड़ी की चपेट में आकर मारे गए थे। यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब रेलवे लाइन पर ये श्रमिक सो रहे थे।
एक बेहद दर्दनाक हादसे में, बीते 8 मई 2020 को नांदेड़ डिवीजन में बदलापुर और करमद स्टेशनों के बीच 16 प्रवासी मज़दूर एक माल गाड़ी की चपेट में आकर मारे गए थे। यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब रेलवे लाइन पर ये श्रमिक सो रहे थे।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहाँ चौदह मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी वहीँ दो अन्य मजदूरों ने बाद में दम तोड़ दिया था। ये मज़दूर मध्यप्रदेश लौटने के लिए "श्रमिक स्पेशल" ट्रेन में सवार होने के लिए जालौन से भुसावल की ओर जा रहे थे।
Explanation:
भूगर्भशास्त्र की एक विशेष शाखा, जिसमें भूकंपो का अध्ययन किया जाता है, सिस्मोलॉजी कहलाता है. भूकंप के तीन तरह के कंपन होते हैं.
(1) प्राथमिक तरंग: यह तरंग पृथ्वी के अन्दर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती है. इसका औसत वेग 8 किमी प्रति सेकेंड होता है.
यह गति सभी तरंगो से अधिक होती है. जिससे ये तरंगे किसी भी स्थान पर सबसे पहले पहुंचती हैं.
(2) द्वितीय तरंग: इन्हें अनुप्रस्थ तरंगे भी कहते हैं. यह तरंग केवल ठोस माध्यम से होकर गुजरती है. इसका औसत वेग 4 किमी प्रति सेकेंड होता है.
(3) एल-तरंगे: इन्हें धरातलीय या लंबी तरंगो के नाम से भी पुकारा जाता है. इन तरंगो की खोज H.D. Love ने की थी. इन्हें कई बार Love waves के नाम से भी पुकारा जाता है. इनका अन्य नाम R-waves है. ये तरंगे धरातल तक ही सीमित रहती हैं. ये ठोस, तरल और गैस तीनों माध्यमों में गुजर सकती है. इसका वेग 1.5-3 किमी प्रति सेकेंड है.