भिक्षुक कविता का उद्देश्य दीजिए।
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निराला जी की कविता में मार्मिकता स्पष्ट रूप से झलकती है। उनके स्वयं के जीवन में दुखों का कहर काफी था जिस वजह से वह लोगों के दुख को समझते थे।
भिक्षुक कविता में कवि ने एक भिखारी के अंतर्मन की दशा का वर्णन किया है। जहां भूख जैसी बला के लिए उसे पश्चाताप करना होता है। दर दर भटकना होता है।यह सब देखकर कवि का हृदय भाव विभोर हो जाता है।
भिखारी के साथ दो बच्चे भी होते हैं। जो भूख रूपी अग्नि के ज्वाला में इस कदर जलते है कि झूठी पत्तल से खाना खाने लगते हैं क्योंकि जब हम प्यासे होते हैं तो हमारे लिए पानी की एक बूंद भी बहुत कीमती होती है।
वैसे ही उन बच्चों के होंठ सूख चुके थे और उस वक्त पर झूठी पत्तल ही उनके लिए सहारा बनती है।
भिक्षुक कविता में कवि ने एक भिखारी के अंतर्मन की दशा का वर्णन किया है। जहां भूख जैसी बला के लिए उसे पश्चाताप करना होता है। दर दर भटकना होता है।यह सब देखकर कवि का हृदय भाव विभोर हो जाता है।
भिखारी के साथ दो बच्चे भी होते हैं। जो भूख रूपी अग्नि के ज्वाला में इस कदर जलते है कि झूठी पत्तल से खाना खाने लगते हैं क्योंकि जब हम प्यासे होते हैं तो हमारे लिए पानी की एक बूंद भी बहुत कीमती होती है।
वैसे ही उन बच्चों के होंठ सूख चुके थे और उस वक्त पर झूठी पत्तल ही उनके लिए सहारा बनती है।
Anonymous:
thanks sir
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Answer:bdhdhfmfbgnvb
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