भूकम्प को प्राकृतिक आपदा क्यों कहा गया है?
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Nooभूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फ़ीयर) में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है।
Explanation:
प्रकृति की सबसे बड़ी विपदाओं में भूकम्प सबसे विनाशकारी है। भूकम्प की पूर्व सूचना के लिये हमारे पूर्वज पशु पक्षियों के असामान्य व्यवहार पर निर्भर करते थे। आज स्थिति बहुत कुछ बदल चुकी है। कई मशीनें बन गई हैं। नई तकनीक का सहारा लिया जाने लगा है। इससे भूचाल के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल जाती है।
भूकम्प के लक्षण
दुनिया में हर साल लगभग पाँच लाख भूकम्प आते हैं। इनमें से कोई एक हजार के बारे में ही जानकारी हम तक पहुँचती है। असल में ज़मीन के अन्दर लगातार टूट-फूट होती रहती है। बाहर से वह दिखाई नहीं देती। धरती पर बाहरी परतों का दबाव पड़ता रहता है। भीतरी ताकतें भी अपना ज़ोर लगाती हैं। दबाव अधिक होने पर चट्टानें अचानक टूट जाती हैं। वे टूट कर या तो अन्दर धँस जाती हैं अथवा ऊपर की ओर उभरने लगती हैं। उनके इसी ज़ोरदार धक्के से पृथ्वी काँपने लगती है। तकनीकी शब्दों में पृथ्वी की इन विभिन्न प्रकार की सतहों का परस्पर टकराव ही भूकम्प का कारण होता है।