भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है?
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उत्तर :
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से अभिप्राय है जब व्यक्ति व्यक्ति को भूख लगी होती है तो वह सबसे पहले उसे शांत करने के बारे में सोचता है। उसे स्वाद की कोई परवाह नहीं होती उसे हर भोजन मीठा लगता है। भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती। उसे रूखी सूखी रोटी भी अच्छी लगती है उसे तब किसी दाल सब्जी की जरूरत नहीं होती। लेकिन जब व्यक्ति का पेट भरा होता है तो वह भोजन को अपने स्वाद के अनुसार खाता है और वह स्वाद को अच्छा या बुरा बताता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से अभिप्राय है जब व्यक्ति व्यक्ति को भूख लगी होती है तो वह सबसे पहले उसे शांत करने के बारे में सोचता है। उसे स्वाद की कोई परवाह नहीं होती उसे हर भोजन मीठा लगता है। भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती। उसे रूखी सूखी रोटी भी अच्छी लगती है उसे तब किसी दाल सब्जी की जरूरत नहीं होती। लेकिन जब व्यक्ति का पेट भरा होता है तो वह भोजन को अपने स्वाद के अनुसार खाता है और वह स्वाद को अच्छा या बुरा बताता है।
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उत्तर:- भूख और भोजन का आपस में गहरा सम्बन्ध है। स्वाद भोजन में नहीं बल्कि मनुष्य को लगने वाली भूख से होता है। भूख लगने पर रूखा-सूखा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है। भूख न होने पर स्वादिष्ट भोजन भी बे-स्वाद लगता है।
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